किसान आंदोलन को शाहीनबाग आंदोलन समझने की भूल न करे सरकार: टिकैत
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले चार महीने से अधिक दिनों से चल रहे किसान आंदोलन के बीच आज भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सरकार को चेताया कि वह किसान आंदोलन को शाहीन बाग़ आंदोलन समझने की भूल न करे।
हिमाचल के पावंटा साहिब में आयोजित किसान महापंचायत में जाते समय कलानौर गांव में एक होटल में पत्रकारों से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को खत्म कराने के लिए पैतरेबाजी कर रही है। कोरोना की सभी गाइडलाइन के साथ आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि देशभर में किसान भाजपा के प्रत्येक नेताओं को अपने ही राज्य में सभा नहीं करने देंगे।
उन्होंने कहा कि लंबे समय से सरकार के साथ वार्ता का दौर बंद पड़ा है, सरकार की तरफ से कोई पहल होती नहीं दिख रही लेकिन हम सरकार से बातचीत के लिए कॉल नहीं करेंगे। यदि सरकार कॉल करती है तो उस पर विचार किया जाएगा।
टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन अभी लंबा चलेगा लेकिन नवंबर-दिसंबर तक सरकार किसानो की बात मान लेगी। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन कितने दिनों तक भी चले किसान उसके लिए तैयार है।
26 जनवरी को किसान ट्रेक्टर परेड के दौरान लाल किले पर हुई घटना के सवाल पर टिकैत ने कहा कि लाल किले पर बवाल के लिए सरकार जिम्मेदार है। किसानों को सरकार व पुलिस वहां लेकर गई थी। उन्होंने कहा कि लालकिला सरकार की संपत्ति नहीं है। सरकार ने तो लालकिला बेच दिया। अब लालकिला का मालिक एफआईआर दर्ज करवाए।
वहीँ इससे पहले हरियाणा के यमुनानगर में टिकैत ने कहा कि यह सरकार किसानो को पूरी तरह तबाह और बर्बाद करने लिए नए नए काले कानून लेकर आने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार नया बीज कानून बनाने के अलावा दूसरे देशों को दूध सप्लाई करने के एग्रीमेंट पर काम करने जा रही है। इसके बाद किसानों से जुड़ा डेयरी व्यवसाय भी पूरी तरह से तबाह हो जाएगा।
टिकैत ने कहा कि निजी कंपनियों के हाथो में दूध का काम पहुंचने के बाद, शुरू में बाहर की कंपनियां 20 रुपये प्रति किलो के भाव पर दूध बेचेंगी और जब दो-तीन साल में डेयरी उद्योग खत्म हो जाएगा, तब तीन सौ रुपये प्रति किलो दूध दिया जाएगा।