राज्यसभा में कांग्रेस की सरकार को नसीहत: “अपने मन से नया इतिहास मत गढ़िए”
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन बिल को लेकर राज्य सभा में बहस जारी है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल को लेकर देश के अल्पसंख्यको को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है उन्होंने पूर्वोत्तर के लोगों को भी आश्वस्त किया कि इस बिल से पूर्वोत्तर के लोगों के हित का हनन नहीं होगा।
अमित शाह ने कहा कि इस सदन के सामने एक ऐतिहासिक बिल लेकर आया हूं। इस बिल के जो प्रावधान हैं उससे लाखों-करोड़ों लोगों को फायदा होगा। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में जो अल्पसंख्यक रहते थे, उनके अधिकारों की सुरक्षा नहीं होती थी उन्हें वहां पर समानता का अधिकार नहीं मिला था।
वहीँ बिल पर कांग्रेस ने अपना विरोध जारी रखते हुए सरकार से सवाल किया कि इस बिल को पास कराने के लिए सरकार जल्दबाज़ी क्यों कर रही है। कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा किपहले और अब के बिल में काफी अंतर है, सबसे बात करने का जो दावा किया जा रहा है उससे मैं सहमत नहीं हूं।
उन्होंने कहा कि इतिहास इसको कैसे देखेगा, उसे वक्त बताएगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि इस बिल को लेकर जल्दबाजी क्यों हो रही है, संसदीय कमेटी के पास इसे भेजा जाता और तब लाया जाता।
आनंद शर्मा ने कहा कि 72 साल में ऐसा पहली बार हुआ है, ये विरोध के लायक ही है। ये बिल संवैधानिक, नैतिक आधार पर गलत है, ये बिल प्रस्तावना के खिलाफ है। ये बिल लोगों को बांटने वाला है।
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की आजादी के बाद देश का बंटवारा हुआ था, तब संविधान सभा ने नागरिकता पर व्यापक चर्चा हुई थी। बंटवारे की पीड़ा पूरे देश को थी, जिन्होंने इसपर चर्चा की उन्हें इसके बारे में पता था।
आनंद शर्मा बोले कि ये बिल संविधान निर्माताओं पर सवाल उठाता है, क्या उन्हें इसके बारे में समझ नहीं थी। भारत के संविधान में किसी के साथ भेदभाव नहीं हुआ, बंटवारे के बाद जो लोग यहां पर आए उन्हें सम्मान मिला है। पाकिस्तान से आए दो नेता प्रधानमंत्री भी बने हैं।
टू नेशन थ्योरी हिन्दू महासभा की थी:
उन्होंने कहा कि टू नेशन थ्योरी कांग्रेस पार्टी ने नहीं दी थी, वो सावरकर ने हिंदू महासभा की बैठक में दी थी। आनंद शर्मा ने कहा कि गृह मंत्री ने बंटवारे का आरोप उन कांग्रेसी नेताओं पर लगाया जिन्होंने जेल में वक्त गुजारा, ये राजनीति बंद होनी चाहिए।
आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस ने टू नेशन थ्योरी का विरोध किया था, उसे बैन भी कर दिया गया था। हिंदू महासभा, मुस्लिम लीग ने दो देशों की थ्योरी का समर्थन दिया, हिंदुस्तान का बंटवारा अंग्रेजों की वजह से हुआ कांग्रेस की वजह से नहीं। इसलिए कृपया आप नया इतिहास मत लीखिए।
वहीँ इससे पहले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक का जमकर हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सभा में 13 विपक्षी दल इसका विरोध करेंगे।
जाद ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि इस विधेयक को लेकर संसद में रणनीति एक ही है। उन्होंने कहा कि सभी पार्टियां नागरिकता संशोधन विधेयक को असंवैधानिक मानती हैं। आजाद ने कहा है कि ये बिल भारत की सभ्यता के खिलाफ है।
भाजपा की दलीलों को नकारते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह सवाल माइनॉरिटी और मेजॉरिटी का नहीं है, यह प्रश्न संविधान का है और यह बिल संविधान के खिलाफ है।
आजाद ने कहा कि उन्होंने 12 से 13 राजनैतिक पार्टियों की मीटिंग ली हैं, जिसमें सभी ने तय कि है कि वो नागारिकता संशोधन बिल के खिलाफ में वोट करेंगे।