दशक के सबसे निचले स्तर पर रहेगी जीडीपी, सरकार ने जताया 5 फीसदी रहने का अनुमान
नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चे पर जूझ रही मोदी सरकार को एक और बड़ा झटका लगा है। 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का दावा करने वाली केंद्र सरकार ने अंततः यह मान लिया है कि देश की जीडीपी एक दशक के सबसे निचले स्तर पर रहेगी।
इस वर्ष पेश किये जाने वाले आम बजट से पहले सरकार ने अनुमान जताया है कि वित्त वर्ष 2019-20 की विकास दर का पांच फीसदी रहेगी, जो पिछले एक दशक में सबसे कम है। सरकार बजट के बाद फरवरी महीने में वित्त वर्ष का दूसरा अनुमान जारी करेगी।
इससे पहले वित्त वर्ष 2018-19 में विकास दर 6.8 फीसदी रही थी। इस लिहाज से इस वित्त वर्ष में जीडीपी में करीब 1.8 फीसदी की गिरावट है। विश्व की सभी रेटिंग एजेंसियों और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत के जीडीपी अनुमान को काफी घटा दिया है।
पांच दिसंबर 2019 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी जीडीपी का अनुमान घटाया था। केंद्रीय बैंक के अनुसार, साल 2019-20 के दौरान जीडीपी में और गिरावट आएगी और यह 6.1 फीसदी से गिरकर पांच फीसदी पर आ सकती है।
वहीँ क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मार्च 2020 में समाप्त हो रहे वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुमान 5.8 फीसदी से घटाकर 4.9 फीसदी कर दिया है। फिच ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर के 4.6 फीसदी रहने की संभावना जताई है। वहीं 2020-21 के लिए 5.6 फीसदी और 2021-22 के लिए 6.5 फीसदी का अनुमान जताया है।
फिच ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर के 4.6 फीसदी रहने की संभावना जताई है। वहीं 2020-21 के लिए 5.6 फीसदी और 2021-22 के लिए 6.5 फीसदी का अनुमान जताया है।
गौरतलब है कि जुलाई-सितंबर, 2019 की तिमाही के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर घटकर महज 4.5 फीसदी रह गई, जो लगभग साढ़े छह साल का निचला स्तर है। यह लगातार छठी तिमाही है जब जीडीपी में सुस्ती दर्ज की गई है।
वहीँ इससे पहले जनवरी-मार्च, 2013 तिमाही में जीडीपी विकास दर 4.3 फीसदी रही थी, वहीं एक साल पहले की समान अवधि यानी जुलाई-सितंबर, 2018 तिमाही में यह सात फीसदी रही थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रही थी।