कृषि कानून पर पूर्व केंद्रीय मंत्री बोले “मैं पहले किसान का बेटा बाद में बीजेपी नेता”
नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार जो भी तर्क दे रही हो लेकिन कृषि कानूनों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के अंदर एक राय नहीं हैं। पार्टी के नेता दबी ज़ुबान में किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।
अब पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है। उन्होंने एक न्यूज़ चैंनल से बातचीत में कहा कि सरकार को किसानों से बात करनी चाहिए. बातचीत से किसी भी समस्या को हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मैं किसानों से भी कहना चाहता हूं कि वे एक यथार्थपूर्ण संवाद करें, अंतहीन हड़ताल में न किसानों का हित है, न देश का हित है।
यही नहीं चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि मैं सरकार या पार्टी के खिलाफ नहीं हूं लेकिन किसानो के समर्थन में भी हूं। उन्होंने कहा कि किसानों का समर्थन करना अपनी पार्टी के खिलाफ जाना नहीं है। किसानों का मुद्दा राजनीति से ऊपर है।
बीरेंद्र सिंह ने कहा कि जब हम पैदा हुए थे तब किसान के बेटे होकर पैदा हुए थे, अब पढ़ लिखकर राजनीति में आ गए हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि अपनी पृष्ठभूमि को भूल जाएं। किसानों का साथ देना मेरा नैतिक कर्तव्य है।
गौरतलब है कि कृषि कानूनों के विरोध में आज 23वे दिन भी किसानो का आंदोलन जारी रहा। कड़ाके की ठंड के बावजूद अभी भी बड़ी तादाद में किसानो का आना जारी है। पंजाब के सिंघु बॉर्डर, हरियाणा के टिकरी बॉर्डर और यूपी के गाजीपुर बॉर्डर पर किसान अभी भी डंटे हुए हैं।
इससे पहले गुरुवार को पीएम मोदी ने कृषि मंत्री द्वारा किसानो के नाम लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए कृषि कानूनों पर किसानो के गुमराह होने की बात कही थी लेकिन पीएम मोदी की बात से किसान संतुष्ट नज़र नहीं आ रहे हैं। शुक्रवार को भी किसान संगठनों के नेताओं ने दो टूंक कहा कि कृषि कानूनों के वापस होने तक आंदोलन जारी रहेगा और किसान अपनी जगह से नहीं हिलेंगे।