पैंगोंग झील से सैनिकों को पीछे हटाना आत्मसमर्पण करने जैसा: पूर्व रक्षा मंत्री
नई दिल्ली। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने आज मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने गलवान घाटी व पैंगोंग झील इलाके से सैनिकों को पीछे ले जाना और बफर जोन बनाना के फैसले को भारत के अधिकारों का ‘आत्मसमर्पण’ बताया है।
आज प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने मोदी सरकार के फैसले से असहमति ज़ाहिर करते हुए कहा कि भारत सीमा पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है और दो मोर्चों पर युद्ध जैसी स्थिति है, ऐसे में रक्षा बजट में मामूली और अपर्याप्त इजाफा देश के साथ ‘धोखा’ है।
पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को ऐसे समय में उचित प्राथमिकता नहीं दे रही है जब चीन आक्रामक हो रहा है और पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को बढ़ावा देना जारी है। उन्होंने कहा कि सैनिकों का पीछे हटना अच्छा है क्योंकि इससे तनाव कम होगा लेकिन इसे राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए।
एंटनी ने कहा कि गलवान घाटी एवं पैंगोंग झील से सैनिकों को पीछे हटाना आत्मसमर्पण करने जैसा है। उन्होंने कहा कि इन इलाकों को भारत नियंत्रित करना था। 1962 में भी गलवान घाटी के भारतीय क्षेत्र होने पर विवाद नहीं था। सैनिकों को पीछे लाना और बफर जोन बनाना अपनी जमीन का आत्मसमर्पण करना है।
पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि सियाचिन इलाके में पाकिस्तान की मदद से चीन कभी भी कोई हरकत कर सकता है। सरकार को सभी राजनैतिक दलों से इस पर चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि रक्षा बजट में कटौती का भी एक नकारात्मक संदेश गया है। सरकार को बताना चाहिए कि उसकी क्या योजना है? क्या चीन सीमा पर पहले जैसी स्थिति बन पायेगी ?
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार ने गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो इलाके के अंदर हमारी सरजमीं को चीन को सौंप दिया। इसलिए चीन के साथ कोई समझौता राष्ट्रीय अखंडता व भूभागीय अखंडता से खिलवाड़ कर नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि पूरा देश शांति चाहता है, परंतु शांति किस कीमत पर? क्या देश की सरजमीं को चीन को सौंप कर शांति स्थापित की जा सकती है? इसका जवाब मोदी सरकार को देना पड़ेगा।
सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार ने हमारी सेना के शौर्य व पराक्रम को कमजोर करने की कोशिश क्यों की है। मोदी सरकार ने भारत माता की सरजमीं को चीन के कब्जे में दे दिया है। भारतीय क्षेत्र को चीन को सरेंडर किया है। इससे बड़ा खतरा देश की अखंडता के लिए नहीं हो सकता। मोदी सरकार देश की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। मोदी सरकार ने देश की भूभागीय अखंडता से समझौता व खिलवाड़ किया है।