संपादकीय: मीडिया ट्रायल पर अंततः बॉलीवुड ने साहस जुटाया
नई दिल्ली। देश को अरबो खरबो रुपये का टेक्स देने वाली देश की फिल्म इंडस्ट्री का एक बड़ा हिस्सा कहे जाने वाले बॉलीवुड ने आखिर मीडिया ट्रायल के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने का फैसला किया है।
सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के बाद कुछ चैनलों द्वारा कथित तौर पर पूरे बॉलीवुड का चीरहरण किये जाने के खिलाफ बॉलीवुड एकजुट हुआ और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया।
बॉलीवुड का चीरहरण करने में सबसे आगे रहे रिपब्लिक टीवी और अर्नब गोस्वामी तथा टाइम्स नाउ और नविका कुमार पर अब शिकंजा कसने की संभावना बनती दिख रही है।
देश के इतिहास में सम्भवतः यह पहली बार ही है जब टीआरपी की होड़ में खुद को निष्पक्ष कहने वाले न्यूज़ चैनलो ने हर हथगण्डा अपनाया। किसी की इज्जत की परवाह किये बिना सबूत उसका नाम घसीट लेना, तू तड़ाक की भाषा का इस्तेमाल किया जाना यहां तक कि अपने समर्थन में सड़क पर भीड़ जुटाने जैसा काम इतिहास में किसी न्यूज़ चैनल ने नहीं किया था लेकिन इस बार बेशर्मी और नंगियाई की सब हदें पार हो गईं।
सुशांत सिंह राजपूत मामले में कुछ न्यूज़ चैनलों द्वारा झूठी कहानियां गढ़ी गईं, ये किसी से छिपा नहीं है। टीआरपी बटोलने की खातिर सूत्रों के आधार पर झूठी ख़बरें चलाई गईं। ये किसी ने सोचा भी नहीं था कि झूठी खबरें चलाने के नाम पर देश के न्यूज़ चैनल इस कदर नंगे हो जायेंगे।
खुद को राष्ट्रवादी कहने वाले कथित न्यूज़ एंकरों ने लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया की आबरू को तार तार कर दिया। कुछ महीने तक मीडिया ट्रायल झेलने के बाद अंततः बॉलीवुड को एकजुट होकर सामने आना ही पड़ा।
वर्षो की मेहनत के बाद कमाई गई इज़्ज़त को कल से मार्किट में आये एक न्यूज़ चैनल और उसके एंकर को को खेलने की अनुमति देना भी अन्याय का उत्साह बढ़ाने जैसा ही है। अच्छी बात यही है कि आखिर इस मामले में बॉलीवुड ने अपनी ख़ामोशी तोड़ी है और इस मामले को कानून के दरवाज़े तक लाया गया है।
इस मामले में दि प्रोड्यूसर गिल्ड ऑफ इंडिया, दि सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन, दि फिल्म एंड टीवी प्रोड्यूसर्स काउंसिल और स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन जैसे संगठनों के सामने आने से यह तो साफ़ हो गया है कि कथित मीडिया ट्रायल पर बॉलीवुड अब खामोश बैठने वाला नहीं है।
(राजा ज़ैद)