शरद पवार के एक ही दांव से धराशाही हो गया बीजेपी का ऑपरेशन कमल
नई दिल्ली। कर्नाटक की तर्ज़ पर बीजेपी महाराष्ट्र में भी सरकार बनाने की तैयारी कर चुकी थी लेकिन एनसीपी सुप्रीमो और दिग्गज नेता शरद पवार के एक दांव से बीजेपी का ऑपरेशन कमल मूँह के बल गिर पड़ा और अंत में बहुमत जुटाने का कोई रास्ता बीजेपी के पास नहीं बचा।
ऑपरेशन कमल के तहत बीजेपी ने भले ही एनसीपी नेता अजित पवार को मोहरा बनाकर चाल ज़रूर चली थी लेकिन शायद परदे के पीछे से दांव चल रहे बीजेपी के चाणक्य यह भूल गए इस कि इस बार महाराष्ट्र का वह नेता उनके सामने हैं जिसे महाराष्ट्र की राजनीति का बड़ा तजुर्बा है और जिसकी महाराष्ट्र में तूती बोलती है।
जिस रात एनसीपी से बगावत कर अजित पवार के 22 विधायकों की सूची राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सौंपी गयी थी, उसके अगले ही दिन देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार हरकत में आ गए थे।
इतना ही नहीं शरद पवार ने बागी अजित पवार के आगे बढ़ने के रास्ते बंद करते हुए विधायकों से सम्पर्क साधा। 78 वर्षीय शरद पवार ने कमाल की फुर्ती दिखाते हुए सबसे पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में विधायकों को साफ़ संदेश दे दिया कि यदि वे वापस नहीं लौटे तो उनकी सदस्य्ता जाएगी।
इतना ही नहीं पवार ने अपने भरोसेमंद नेताओं के माध्यम से एनसीपी विधायक धनजय मुड़े से सम्पर्क कराया। धनजय मुड़े बागी नेता अजित पवार के करीबी माने जाते हैं और एनसीपी के कई विधायक धनजय मुड़े के सम्पर्क वाले हैं।
उसी शाम एनसीपी विधायकों की बैठक में धनजय मुड़े के पहुँचने से ही अजित पवार की उलटी गिनतियाँ शुरू हो गयीं थीं। धनजय मुड़े के बाद एक एक कर एनसीपी विधायक पार्टी में लौटने लगे। शाम होते होते एनसीपी के 54 में से 51 विधायक वापस पहुँच गए। शेष तीन में अजित पवार को छोड़कर दो और विधायक भी वापस लौट आये।
यह वह समय था जब बीजेपी का ऑपरेशन कमल आखिरी साँसे भर रहा था। इसके बावजूद शायद बीजेपी के चाणक्य उम्मीद लगाये बैठे थे कि शायद बहुमत साबित करने के लिए सुप्रीमकोर्ट एक सप्ताह या अधिक का समय दे दे।
इतना सब कुछ होने के बाद एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने अगला दांव चला और शिवसेना और कांग्रेस से अपने विधायकों को मुंबई के ग्रैंड हयात होटल लेकर आने को कहा। यहाँ तीनो पार्टियों के 162 विधायकों की मीडिया के समक्ष परेड कराकर बीजेपी के बहुमत के दावे की हवा निकाल दी गयी। बीजेपी की शेष रही उम्मीदों पर सुप्रींम कोर्ट के फैसले से पानी फेर दिया। कांग्रेस ने फैसला सुनाते हुए बहुमत साबित करने के लिए मात्र 24 घंटे का समय तय किया।
इसके बाद बीजेपी की सारी उम्मीदें धूल चुकी थीं और अंततः मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को घुटने टेकने पड़े और उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया।