कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़े किसान, कानूनों के रद्द होने तक जारी रहेगा आंदोलन
नई दिल्ली। दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर आज हुई किसान संगठनों की बैठक में तय हुआ कि जब तक सरकार तीनो कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा। इस बैठक में 32 किसान संगठनों के नेताओं के भाग लिया। इस बैठक में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी मौजूद थे।
किसानो ने मांग कि कि तीनो कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाये और तीनो कृषि कानूनों को रद्द करे। इतना ही नहीं बैठक में शामिल हुए किसान संगठनों के नेताओं ने कृषि कानूनों के रद्द होने तक आंदोलन जारी रखने और मोर्चे पर डंटे रहने की बात कही। इतना ही नहीं किसान नेताओं ने कहा कि यदि सरकार ने तीनो कृषि कानून रद्द नहीं किये तो दिल्ली के सभी मार्ग अवरुद्ध कर दिए जाएंगे।
बैठक के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए किसान नेता दर्शन पाल ने आरोप लगाया कि केंद्र किसान संगठनों में फूट डालने का काम कर रहा है, लेकिन ऐसा नहीं हो पाएगा।
उन्होंने बताया कि हमने देश भर में विरोध स्वरूप 5 दिसंबर को मोदी सरकार और कॉरपोरेट घरानों के खिलाफ प्रदर्शन करने और पुतले जलाने का आह्वान किया है।
वहीँ प्रेस कांफ्रेंस में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अगर केंद्र तीनों नए कानूनों को वापस नहीं लेगा तो किसान अपनी मांगों को लेकर आगामी दिनों में और कदम उठाएंगे। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी तो हम दिल्ली की और सड़कों को अवरुद्ध करेंगे।
गौरतलब है कि सरकार और किसानो के बीच एक दौर की बातचीत हो चुकी है। इस बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला है। अब दूसरे दौर की बातचीत कल यानि 3 दिसंबर को होनी है। बातचीत से पहले भारतीय किसान यूनियन ने किसानो की मांग के संदर्भ में सरकार को ड्राफ्ट सौंपा है। भारतीय किसान यूनियन के इस ड्राफ्ट को कल सरकार के साथ चर्चा में शामिल किया जाना है।