किसानो को सुप्रीमकोर्ट के फैसले का इंतज़ार, फैसला आने के बाद लेंगे अंतिम निर्णय

किसानो को सुप्रीमकोर्ट के फैसले का इंतज़ार, फैसला आने के बाद लेंगे अंतिम निर्णय

नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानो के मुद्दे पर कल सुप्रीमकोर्ट हुई सुनवाई के बाद आज देश की सर्वोच्च अदालत अपना फैसला सुनाएगी। आंदोलन में शामिल किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि हम सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने के बाद ही अंतिम निर्णय लेंगे।

इससे पहले कल सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। इतना ही नहीं सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि यदि वह कृषि कानूनों के अमल पर रोक नहीं लगाती तो हम रोक लगा देंगे। कोर्ट ने केंद्र द्वारा किसानो से की गई अबतक की बातचीत पर भी सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि हम नहीं जानते आखिर किस तरह बातचीत की जा रही है।

वहीँ आज 47वे दिन भी किसानो का आंदोलन जारी है। फरीदकोट के ज़िला प्रधान बिंदर सिंह गोले वाला ने बताया, “उम्मीद है कि कोर्ट किसानों के पक्ष में और कानूनों को रद्द करने के लिए कोई फैसला लेगी। हमें बुराड़ी ग्राउंड में करीब 47 दिन हो गए।

सिंघु बॉर्डर पर एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “अगर सरकार नहीं मानी तो लोहड़ी तो क्या हम होली भी यहीं मनाएंगे। हम सरकार से कहना चाहते हैं कि किसानों की तरफ ध्यान दे।यहां 51-52 लोग मर गए सरकार को उनकी फिक्र नहीं है।”

किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेतृत्व में अमृतसर से किसानो का एक जत्था दिल्ली के लिए रवाना हुआ है। किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी ने कृषि कानूनों के खिलाफ अमृतसर से दिल्ली की ओर ट्रैक्टर रैली निकाली। एक किसान ने बताया, “हमारा हज़ारों ट्रैक्टरों का जत्था दिल्ली धरने में शामिल होगा और 26 जनवरी की परेड में भी शामिल होगा। हमारा जत्था 3 कानूनों को रद्द करवाकर ही वापस आएगा।”

गाज़ीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राजवीर सिंह जादौन ने कहा, “हम कोर्ट से अपेक्षा करेंगे कि कानूनों को खत्म करने का आदेश दे और MSP पर कानून बने।”

वहीँ इससे पहले कल सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने किसानों का पक्ष वहां पर रखा। सुप्रीम कोर्ट ने पहली सुनवाई में भी कहा था कि सरकार किसानों के साथ बातचीत करें। कृषि क़ानून केंद्र सरकार ने बनाए हैं तो इसे वापस भी सरकार ही लेगी।”

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TeamDigital