किसान संगठनों का फैसला, मई में संसद मार्च करेंगे किसान

किसान संगठनों का फैसला, मई में संसद मार्च करेंगे किसान

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 4 महीने से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसान अब आंदोलन और तेज करेंगे। किसान संगठनों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने एलान किया है कि कृषि कानून को रद्द करने और एमएसपी लागू करने की मांग को लेकर किसान मई में संसद मार्च करेंगे।

हालांकि संयुक्त किसान मोर्चे ने संसद मार्च के लिए अभी तारीख का एलान नहीं किया है। संसद मार्च की तारीख को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि जल्द ही संसद मार्च की तारीख का एलान कर दिया जाएगा।

तीन कृषि कानूनों किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 किसान सशक्तिकरण और संरक्षण समझौता के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन में करीब 40 किसान संगठन शामिल है। जल्द ही संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में संसद मार्च की तारीख तय की जायेगी।

इससे पहले कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी के लिए कानून बनाने की मांग को लेकर किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चे ने हाल ही में भारत बंद का भी एलान किया था। वहीँ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानो ने कई गांव में बीजेपी नेताओं के घुसने पर पाबंदी लगा दी है।

इतना ही नहीं अभी हाल ही में पंजाब में कृषि कानूनों के फायदे गिनाने गए बीजेपी विधायक के साथ किसानो द्वारा बदसलूकी और मारपीट की बात भी सामने आई थी। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने पंजाब में हुई घटना से खुद को अलग करते हुए कहा कि उस घटना से किसानो का कोई लेना देना नहीं है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि मारपीट में शामिल लोगों का आंदोलन से कोई मतलब नहीं है, वे हमारे लोग नहीं थे।

वहीँ कृषि कानूनों के खिलाफ किसानो को जागरूक करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चे के नेता दिल्ली से बाहर देश के अलग अलग शहरो में किसान पंचायतो का आयोजन कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने चुनावी राज्यों पश्चिम बंगाल और असम में भी किसान पंचायतो का आयोजन कर बीजेपी को वोट न देने का आह्वान भी किया है।

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TeamDigital