केंद्र सरकार की चिट्ठी पर कल फैसला लेंगे किसान
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नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में मंगलवार को 27वे दिन भी किसानो का धरना जारी रहा। इस बीच आज किसान संगठनों बैठक हुई। इस बैठक में तय हुआ कि केंद्र सरकार की तरफ से भेजी गई चिट्ठी पर कल फैसला लिया जायेगा।
किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने बताया कि आज पंजाब के 32 किसान संगठनों की बैठक हुई और उसमें ये फैसला किया गया कि केंद्र सरकार की चिट्ठी पर कल की बैठक में फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा के किसान 25-27 दिसंबर को हरियाणा के टोल प्लाजा फ्री करेंगे।
सरकार रच रही चक्रव्यूह: किसान नेता पंढेर
किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के नेता श्रवण सिंह पंढेर ने कहा कि सरकार की तरफ से एक खत आया कि अगर आप कृषि कानून वापस लेने वाली बात से पीछे हटकर संशोधन करने के लिए बात करना चाहते हैं तो समय और तारीख दो। किसान संगठनों पर चक्रव्यूह रचने का प्रयास किया जा रहा है।
कृषि कानूनों के समर्थन में किसान संगठनों को आगे लाने की तैयारी:
वहीँ दूसरी तरफ सरकार की तरफ से कृषि कानूनों के समर्थन में कुछ किसान संगठनों को आगे लाने की तैयारी की जा रही है। उत्तर प्रदेश में किसानों ने गौतमबुद्धनगर में कृषि कानूनों के समर्थन में ट्रैक्टर रैली निकाली।
एक किसान ने कहा, “सरकार ने जो कानून पास किए हैं हम इसके समर्थन में दिल्ली जा रहे हैं। मेरी बॉर्डर पर बैठे किसानों से अपील है कि वे कानूनों को बारीकी से समझें।”
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर ने भी कृषि भवन में किसान संघर्ष समिति और इंडियन किसान यूनियन के नेताओं के साथ एक बैठक की। इस बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर ने कहा कि आज अनेक किसान यूनियन के पदाधिकारी आए और उनकी ये चिंता है कि सरकार बिलों में कोई संशोधन करने जा रही है। उन्होंने कहा है कि ये बिल किसानों की दृष्टि से बहुत कारगर हैं, किसानों के लिए फायदे में हैं और बिल में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार की बातचीत के लिए किसानों को भेजी गई चिट्ठी पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मुझे आशा है कि जल्दी उनका विचार-विमर्श पूरा होगा, वो चर्चा करेंगे और हम समाधान निकालने में सफल होंगे।
वहीँ कृषि मंत्री के साथ बैठक के बाद इंडियन किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्षचौधरी राम कुमार वालिया ने कहा कि कानून ठीक हैं लेकिन जो भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं उनको दूर करने की जरूरत है, 90% किसानों ने कानून नहीं पढ़ा है। मेरा प्रदर्शनकारियों से आग्रह है कि आंदोलन में राजनीति हावी न होने दें।