किसानो ने सरकार का प्रस्ताव किया ख़ारिज, कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े

नई दिल्ली। बुधवार को किसान संगठनो के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच हुई बातचीत के दौरान सरकार की तरफ से किसान संगठनों को दिये गए प्रस्ताव को आज किसानो ने ख़ारिज कर दिया।
बुधवार को हुई वार्ता के दौरान सरकार की तरफ से किसानो के प्रति लचीला रुख दिखाते हुए प्रस्ताव दिया गया कि 1.5 साल तक क़ानून के क्रियान्वयन को स्थगित किया जा सकता है। किसान यूनियन और सरकार बात करके समाधान ढूंढ सकते हैं।
सरकार के इस प्रस्ताव पर आज किसानो की संयुक्त समिति की बैठक बुलाई गई थी। संयुक्त समिति की बैठक में किसानो ने सरकार के प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया है।
किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि सरकार जब तक कृषि क़ानूनों को वापस नहीं लेती, सरकार का कोई भी प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया जाएगा। कल हम सरकार को कहेंगे कि इन क़ानूनों को वापस कराना, MSP पर क़ानूनी अधिकार लेना यही हमारा लक्ष्य है।हमने सर्वसम्मति से ये निर्णय लिया है।
आज हुई किसान संयुक्त समिति की बैठक में कई अहम मुद्दों पर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच चर्चा हुई। इसमें 26 जनवरी को आयोजित की जाने वाली किसान ट्रेक्टर परेड को लेकर भी बातचीत हुई।
गौरतलब है कि किसानो और सरकार के बीच अब तक दस दौर की बातचीत हो चुकी है। 11वे दौर की बातचीत शुक्रवार (कल) होनी है। बैठक से एक दिन पहले आज किसानो द्वारा सरकार का प्रस्ताव ख़ारिज किये जाने से साफ़ हो गया है कि कल होने वाली बातचीत में किसान सिर्फ कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी के लिए कानून बनाने के लिए सरकार से हां या ना में जबाव मांगेंगे।
बैठक शुरू होने से पहले किसान नेता दर्शन पाल ने बताया कि आज ट्रैक्टर रैली को लेकर किसानों से बात करने के लिए दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर एस.एस. यादव सिंघु बॉर्डर के पास एक रिजॉर्ट पहुंचे थे।
उन्होंने कहा कि बैठक में दिल्ली पुलिस ने कहा कि आउटर रिंग रोड पर अनुमति देना मुश्किल है और सरकार भी इसके लिए तैयार नहीं है। लेकिन हमने कह दिया है कि हम रिंग रोड पर ही रैली करेंगे। फिर उन्होंने (पुलिस) कहा कि ठीक है हम देखते है। कल हमारी पुलिस के साथ फिर बैठक होगी।
दूसरी तरफ आज 56वे दिन भी दिल्ली की सीमाओं पर किसान डेरा डाले हुए हैं और कड़ाके की सर्दी के बावजूद भी किसान आंदोलन जारी है। किसान आंदोलन में शामिल किसानो का कहना है कि वे कृषि कानून वापस होने तक अपने घरो को वापस नहीं जाएंगे।