लॉकडाउन में सिर्फ ज़रूरी सामान ही डिलीवर कर सकेंगी ई कॉमर्स कंपनियां

नई दिल्ली। कल से ई कॉमर्स कंपनियां ऑनलाइन ऑर्डर लेना और होम डिलीवरी करना शुरू करेंगी। लॉकडाउन में लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने ऑनलाइन व्यवसाय करने वाली कंपनियों को काम शुरू करने की अनुमति दी थी लेकिन अब गृह मंत्रालय ने नई एडवायजरी जारी कर ज़रूरी सामान के अलावा अन्य चीज़ो की बिक्री पर रोक लगा दी है।
चार दिन पहले ई-कॉमर्स कंपनियों को मोबाइल फोन, रेफ्रिजरेटर और सिलेसिलाए परिधानों आदि की बिक्री की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब इस ‘छूट’ को वापस ले लिया गया है।
गृह मंत्रालय ने आदेश दिया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों के जरिए लॉकडाउन के दौरान गैर-जरूरी सामानों की सप्लाई पर रोक रहेगी। गृह मंत्रालय द्वारा जारी किये गए आदेश में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान सिर्फ ज़रूरी सामान ही डिलीवर किया जा सकेगा।
गृहमंत्रालय के नए आदेश के बाद अब ई कॉमर्स कंपनियां सिर्फ खाने पीने का ज़रूरी सामान और दवाएं ही डिलीवर कर पाएंगी। हालांकि लॉकडाउन में राशन, सब्जी और मेडिकल की दुकानें पहले से ही खुली हैं तो वहीं दूसरी तरफ जरूरी सामानों की होम डिलीवरी भी की जा रही है।
गौरतलब है कि लॉकडाउन-2.0 की अवधि 03 मई तक की गई है। सरकार ने लॉक डाउन की अवधि बढ़ाये जाने के साथ ही 20 अप्रेल से कुछ रियायतें देने की बात कही थी।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइंस के अनुसार, मनरेगा के सभी कार्यों को भी अनुमति, कृषि संबंधी सभी गतिविधियां, फिशरीज और पशुपालन से जुड़ी चुनिंदा गतिविधियां, बैंकिंग गतिविधियां, सभी अनाथाश्रम, वृद्धाश्रम, महिलाश्रम, विधवाश्रम आदि ऑनलाइन शिक्षण, जरूरी सामानों की आवाजाही, प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, आईटी और इससे संबंधित सेवाएं, ई-कॉमर्स कंपनियां, कुरियर सर्विस, कोल्ड स्टोरेज, प्राइवेट सिक्योरिटी सर्विस, होटल, लॉज आदि चीजों में छूट मिलेगी।
सरकार की तरफ से कहा गया है कि नए दिशा-निर्देशों के तहत ई कॉमर्स- कूरियर सेवाओं को राहत दी गई है। साथ ही, जरुरी चीजों को बनाने वाले कारखाने भी खुल सकेंगे।
इतना ही नहीं आवश्यक सामानों, दवाओं का उत्पादन जारी रहेगा। वहीँ कुछ शर्तों के साथ ट्रकों को आने-जाने की इजाजत दी गई है। लॉकडाउन में फंसे लोगों के लिए होटल, लॉज खुले रहेंगे।
लॉकडाउन 2.0 में 20 अप्रेल से बिजली मैकेनिक, प्लंबर, मोटर मैकेनिक, कारपेंटर को भी काम करने की अनुमति होगी। वहीँ आईटी के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को 50 फीसदी कर्मचारियों के साथ सशर्त काम की अनुमति होती।