दिल्ली दंगे को लेकर गिरफ्तार किये स्कूल मालिक को ज़मानत, कोर्ट ने कहा ‘नहीं मिला कोई सबूत’
नई दिल्ली। दिल्ली दंगो में आरोपी बनाये गए एक निजी स्कूल के मालिक को कोर्ट ने आज ज़मानत दे दी, साथ ही कोर्ट ने कहा कि इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं। अदालत ने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया सबूतों से पता चलता है कि वह घटना के समय घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं था।
दरअसल दिल्ली दंगो के दौरान शिव विहार इलाके के राजधानी पब्लिक स्कूल के मालिक फैसल रसूल पर लोगों को भीड़ को उपद्रव करने और बगल के डीआरपी कॉन्वेंट स्कूल, दो पार्किंग स्थल और एक मिठाई की दुकान में आग लगाने के निर्देश देने का आरोप लगाया गया था। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
दिल्ली पुलिस ने भी अपनी चार्जशीट में फैसल फारूक के तार कई जगह जोड़ दिए। चार्जशीट में फैसल रसूल का आतंकी फंडिंग या उसके पिंजरा तोड़ ग्रुप, पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया और मुस्लिम मौलवियों के साथ कथित लिंक जोड़ दिया गया।
चार्जशीट में फैसल फारूक को आरोपी बनाते हुए कहा गया कि वह पॉपुलर मोर्चा ऑफ इंडिया, पिंजरा तोड़ ग्रुप, जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी, हज़रत निज़ामुद्दीन मरकज़ और देवबंद के धार्मिक नेताओं के साथ संपर्क में थी ताकि दंगों को भड़काया जा सके।
कोर्ट ने पुलिस की चार्जशीट पर असंतुष्टि ज़ाहिर करते हुए कहा कि ‘यह प्रथम दृष्टया साबित नहीं है कि आवेदक घटना के समय घटनास्थल पर मौजूद था। इतना ही नहीं अदालत ने कहा कि चार्जशीट में आतंकी फंडिंग के आरोप को साबित करने के लिए शायद ही कोई सामग्री है।
इसके अलावा अदालत ने कहा कि गवाहों के बयानों में विरोधाभास थे और जांच अधिकारी ने अभियोजन पक्ष के गवाह के पूरक बयान की कमी को पूरा करने के लिए दर्ज करने का प्रयास किया था।
अदालत ने कहा कि पुलिस ने अपनी चार्जशीट में फैसल फारूक को लेकर जो दावे किये थे, वह उसके सबूत अदालत में नहीं पेश कर सकी। पुलिस ने दंगे के दौरान फैसल रसूल के जिन चार लोगों से बात करने की बात कही हैं। उनमे एक वकील था, दूसरा आवेदक का चचेरा भाई था और तीसरा एक स्थानीय विधायक था जिसके बच्चे स्कूल में पढ़ते थे.