किसान मोर्चे की बैठक में फैसला: पहले से तय कार्यक्रम नहीं रोके जायेंगे, 22 को लखनऊ में रैली
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों के वापस लिए जाने के एलान के बाद आज संयुक्त किसान मोर्चा की कोर कमेटी की बैठक हुई। बैठक में तय किया गया कि एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाये जाने तथा अन्य मांगो के समर्थन में किसान आंदोलन जारी रहेगा तथा पहले से तय कार्यक्रम नहीं रोके जायेंगे।
शुक्रवार को पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों के वापसी के एलान को लेकर बैठक में किसान नेताओं ने कहा कि मोदी जी ने एक तरफ घोषणा कर भ्रम पैदा करने की कोशिश की है। बैठक में फैसला लिया गया कि पीएम मोदी के तीनों कृषि कानून वापस लेने के फैसले की घोषणा के बावजूद किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है।
700 किसानो की शहादत की ज़िम्मेदार केंद्र सरकार:
किसान मोर्चा ने आंदोलन के एक साल के दौरान 700 किसानों की मौत के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। किसानों के परिवार को आर्थिक मदद की मांग की है। संयुक्त किसान मोर्चा ने आरोप लगाया है कि लखीमपुर में किसानों की ‘हत्या’ केंद्र सरकार के अड़ियल रवैये का नतीजा है। बैठक में किसान मोर्चा ने शहीद किसानों के स्मारक के लिए जगह की मांग की है। मोर्चे ने कहा कि किसानों पर दर्ज केस भी वापिस लिए जाएँ।
अभी आधी जीत मिली है:
संयुक्त किसान मोर्चे ने कृषि कानूनों की वापसी को आधी जीत बताया है। किसान मोर्चा ने कहा, लखनऊ, दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन और पार्लिमेंट कूच 22, 26और 29 नवंबर को पहले की तरह ही जारी रहेंगे।
बैठक के बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 22, 26 और 29 नवंबर को जो कार्यक्रम होने वाले हैं उन्हें रोका नहीं जाएगा। अगर सरकार को बातचीत करनी है तो वो बात कर सकते हैं। शुरू में ही ये बातचीत हो गई होती तो इतने किसानों की मृत्यु नहीं होती।
किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि आज की बैठक में फैसला लिया गया कि हमारे 22, 26 और 29 नवंबर को जो कार्यक्रम होने वाले हैं वो जारी रहेंगे। 22 को लखनऊ रैली, 26 को पूरे देश में किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर जश्न मनाया जाएगा और 29 को ट्रैक्टर मार्च (संसद तक) होगा। आंदोलन जारी रहेगा।
उन्होंने कहा कि 22 तारीख को लखनऊ की रैली को कामयाब करना है। अगर लखीमपुर खीरी में हमारे साथियों को परेशान करने की कोशिश की जाती है तो फिर हम लखीमपुर खीरी इलाके में आंदोलन चलाएंगे।
वहीँ सिंघू बॉर्डर पर किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार ने तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने के लिए बोला है तो वो इसको कब तक वापस लेंगे इसके बारे में कुछ ठोस नहीं है। MSP पर अभी कोई ठोस बात नहीं हुई है और जो मामले किसानों पर दर्ज़ हुए हैं उनको भी वापस लेना चाहिए।