आयकर के दायरे से बाहर वाले लोगों की मदद के लिए, 28 मई को कांग्रेस शुरू करेगी ये बड़ी मुहिम
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र देशभर में चल रहे लॉकडाउन को लेकर लोअर मिडिल क्लास और गरीब वर्ग को राहत देने की सुध भले ही सरकार को न आई हो लेकिन लोअर मिडिल क्लास और गरीब वर्ग की मदद के लिए कांग्रेस एक बार फिर सरकार की नींद तोड़ने की कोशिश करेगी।
28 मई को कांग्रेस एक ऑनलाइन मुहिम चलाएगी, जिसमे सरकार से आयकर के दायरे से बाहर वाले परिवारों के बैंक खातों में दस हज़ार रुपये डाले जाने की मांग करेगी।
पार्टी की ओर से बताया गया कि वह इस अभियान में केंद्र सरकार से आयकर दायरे से बाहर के सभी परिवारों के खाते में तुरंत 10,000 रुपये ट्रांसफर करने की मांग को उठाएगी। गौरतलब है कि कांग्रेस के नेतृत्व में शुक्रवार को हुई विपक्षी दलों की बैठक में 11 सूत्रीय मांग रखी थी जिसमें कि यह मांग उठाई गई थी।
शुक्रवार को 22 विपक्षी दलों की हुई बैठक में मुख्य तौर पर लोअर मिडिल क्लास, गरीव वर्ग के लिए मदद को लेकर गहन चर्चा हुई थी। कांग्रेस के नेतृत्व में इन दलों ने सरकार के समक्ष 11 सूत्री मांग रखते हुए कहा, “आयकर दायरे से बाहर के सभी परिवारों को छह महीने के लिए 7500 रुपये प्रति माह दिया जाए. 10 हजार रुपये तत्काल दिए जाएं और शेष पांच महीने में दिया जाए।”
उन्होंने कहा कि सभी जरूरतमंद लोगों को अगले छह महीने के लिए 10 किलोग्राम प्रति माह अनाज दिया जाए। इसके साथ ही मनरेगा के तहत कामकाज के दिनों को 150 से बढ़ाकर 200 दिन किया जाए।
विपक्ष की संयुक्त बैठक में विपक्षी दलों ने आग्रह किया, “प्रवासी कामगारों को उनके घर भेजने के लिए मुफ्त परिवहन सेवा मुहैया कराई जाए तथा विदेश में फंसे भारतीय छात्रों और नागरिकों को वापस लाने का इंतजाम किया जाए। कोविड-19 की जांच, संक्रमण, स्वास्थ्य ढांचे और संक्रमण रोकने के उपायों को लेकर सटीक जानकारी मुहैया कराई जाए। साथ ही श्रम कानूनों में बदलाव सहित सभी एकतरफा नीतिगत निर्णयों को बदला जाए।”
बैठक में किसानों से रबी की उपज को एमएसपी के मुताबिक खरीदे जाने तथा खरीफ की फसल के लिए किसानों को बीज, उर्वरक और दूसरी सुविधाएं दिए जाने की भी मांग की गई थी। इसके अलावा कोरोना महामारी से अग्रिम मोर्चे पर लड़ रही राज्य सरकारों को उचित धन मुहैया कराये जाने तथा अगर लॉकडाउन से बाहर निकलने की कोई रणनीति है तो उसे सर्वजनिक किये जाने की मांग की गई थी, साथ ही संसदीय कामकाज और समितियों की बैठक बहाल कराये जाने की मांग की गई।