विधायकों के इस्तीफ़ों को लेकर सबूत जुटा रही कांग्रेस जा सकती है कोर्ट

नई दिल्ली। कई राज्यों में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफो को लेकर कांग्रेस अब आक्रामक मोड में आ गई है। कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस विधायकों के इस्तीफे से जेडीएस-कांग्रेस की संयुक्त सरकार का पतन, मध्य प्रदेश में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से कमलनाथ सरकार का पतन, गुजरात में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे से राज्यसभा का गणित बिगड़ने को लेकर कांग्रेस न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का मन बना रही है।
इस बात के संकेत वरिष्ठ कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी की वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में मिले हैं। सिंघवी ने गुजरात का ताजा उदाहरण रखते हुए इस्तीफा देने वाले एक कांग्रेस विधायक का नाम लेकर कहा कि उनसे इस्तीफा दिलाने के लिए एक कई साल पुराने मामले में पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाकर दबाव बनाया। जबकि उस मामले से कांग्रेस विधायक का दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं है।
सिंघवी ने कहा कि सत्ता की भूख के कारण भारतीय जनता पार्टी हर हथगण्डे का इस्तेमाल कर रही है। कांग्रेस विधायकों को या तो प्रलोभन देकर खरीदने की कोशिश की जाती है या उन्हें झूठे मामलो में फंसाने की धमकी देकर उन पर इस्तीफे के लिए दबाव बनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि हम इस मामले में खामोश नहीं बैठेंगे। हम सभी मामलो पर नज़र रखे हुए हैं और जल्द इस मामले में कदम उठाएंगे। गौरतलब है कि कांग्रेस ने राज्य सभा चुनाव से पहले राजस्थान में पार्टी विधायकों में तोड़फोड़ की कोशिशों का पर्दाफाश होने के बाद चुनाव आयोग से मिलकर शिकायत दर्ज कराई है।
वहीँ दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव से पहले कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर कहा है कि जिलों में सरकारी कर्मचारियों की हाल में की गई पदस्थापना रद्द की जाए। अपनी मांगी के संदर्भ में कांग्रेस ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को एक ज्ञापन भी सौंपा है।
कांग्रेस ने अपने ज्ञापन में निम्न मांगे उठाई हैं :
– 24 विधानसभा उपचुनाव वाले जिलों में आयोग पैनल मंगाकर नियुक्ति करें।
– जन अभियान परिषद को भंग किया जाए।
-उपचुनाव वाले क्षेत्रों में विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किए जाएं।
– उपचुनाव में निष्पक्ष मतदान के लिए स्थानीय कर्मचारियों की जगह बाहरी कर्मचारियों के दल भेजे जाएं।
– उपचुनाव की विशेष परिस्थिति को देखते हुए वीवीपैट पर्चियों की शत-प्रतिशत गणना करने का आदेश हो।
– हर मतदाता को आधार कार्ड से जोड़ा जाए और आधार कार्ड के आधार पर मतदान की व्यवस्था हो।