अर्थव्यवस्था और बेरोज़गारी पर जमलेबाज़ी कब बंद करेगी सरकार: सिंघवी
नई दिल्ली। कांग्रेस ने आज अर्थव्यवस्था और रोज़गार के मुद्दे पर एक बार फिर मोदी सरकार पर सीधा हमला बोला है। पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कई मुद्दे उठाये।
सिंघवी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सरकारी नौकरियां राज्य के लोगों के आरक्षित करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि मूल प्रश्न यह उठता है कि भाजपा और सत्तारूढ सरकार हमें यह बताए कि नौकरियाँ कहाँ से आएँगी, रोजगार कहाँ से आएगा।
सिंघवी ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री यह बताएं कि जुमलेबाज़ी कब बंद करेंगे? बताएं नौकरियों में आरक्षण से देश को क्या मिलने वाला है? जब आपके पास नौकरियां है ही नहीं, तो आरक्षण किस चीज़ का करेंगे? जब नौकरियाँ ही नहीं है तो ये सरकार क्या तो दावा करेगी और क्या ही देगी।
उन्होंने कहा कि वेतनभोगी वर्ग जो अपनी आय पर निर्भर होता है, उसमें जबरदस्त गिरावट हुई है। इस मुद्दे पर हम सरकार से कुछ जवाब नहीं मांगते, बस आईना सच दिखा रहे हैं।
सिंघवी ने बेरोज़गारी पर आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि अप्रैल तक लगभग 1.45 करोड़ वेतनभोगी वर्ग ने रोजगार गंवा दिये गए हैं। वो आंकड़ा अब 1.9 करोड़ हो गया है। ये कौन लोग हैं? उन्होंने कहा कि ये बात सही है कि ये कोई प्रवासी श्रमिक या कृषक नहीं है, बल्कि मूल रूप से इनका स्वरूप बिलकुल अलग है और इसलिए यह भयानक और चिंताजनक है। इनके गवाएँ हुए रोजगार आसानी से वापस नहीं आते।
प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से बात करते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आपके जरिए मैं यह पूछना चाहता हूँ कि माननीय प्रधानमंत्री जी इतने प्रखर, मुखर और जबदस्त वक़्ता हैं। फिर भी रोजगार के बारे में नहीं बोलते।
आर्थिक मामलो को लेकर सिंघवी ने कहा कि इस मुद्दे को हम संकीर्ण भावना से नहीं देख सकते, क्योंकि ये मुद्दा है संदर्भ का और सन्दर्भ है- आर्थिक गिरावट का। उन्होंने जीडीपी में गिरावट का मुद्दा उठाते हुए कहा कि 2017-18 में भी जीडीपी की ग्रोथ रेट लगभग 7% थी, जो 2018-19 में 6.1 तक गिर गयी यानी एक साल में 1% तक गिर गयी। देश के लिए 1% लाखों-करोड़ों की बात होती है।
उन्होंने कहा कि अब विश्व बैंक ने बताया है और हम जानते हैं कि विश्व बैंक के आंकड़े रूढ़िवादी होते हैं। वास्तविकता उससे ज्यादा बुरी होती है। 2020-21 में उसने आर्थिक व्यवस्था में लगभग 3.2% तक का नुकसान होने की आशंका जताई है।
सिंघवी ने यूपीए काल की याद दिलाते हुए कहा कि ये सभी जानते हैं कि यूपीए 1 और यूपीए 2 के कार्यकाल में जितने लोग गरीबी रेखा के नीचे आए थे, उसी वक़्त सबसे ज्यादा लोग गरीबी रेखा से ऊपर आए थे। उसी प्रकार पोषण की कमी में सबसे ज्यादा सुधार हुआ था 2004 से 2016 तक। इसमें 2 वर्ष इस सरकार के हैं लेकिन यह सब जानते हैं कि जब ये आंकड़ा 22% से 14% तक गिरा तो इसका लगभग 90% श्रेय इस सरकार के पहले के समय को जाता है।
उन्होंने कोरोना काल में गरीबो को राशन वितरण का मामला उठाते हुए कहा कि महामारी के विषय में एक नयी रिपोर्ट के अनुसार लगभग 5 में से 2 लोगों को राशन मिला सिर्फ़ 40% तक, जबकि सरकार का वादा था 60% तक। मैं अंत में यह कहना चाहता हूँ कि जुमलेबाज़ी का समय गया और स्पष्टता से बात करने का समय आ गया है।