कांग्रेस का आरोप: विदेशो में भारत का नाम रोशन करने वालो के लिए सरकार के पास नहीं कोई नीति
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नई दिल्ली। अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा निलंबित किए जाने के बाद कुवैत मे लागू होने वाले एक कानून के बाद भारतीय मूल के कामगारों के ऊपर नौकरियां जाने की तलवार लटकी है। कांग्रेस ने इस मामले को आज उठाते हुए कहा कि विदेशो में भारत का नाम रोशन करने वाले भारतीयों के लिए मोदी सरकार की कोई नीति नहीं है।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में बुधवार को केंद्र सरकार और पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि दूसरे देशों में बड़े-बड़े आयोजन करने, हाथ मिलाने और गले मिलने की कूटनीति का देश के नागरिकों को कोई फायदा नहीं हो रहा है।
सिंघवी ने कहा, ‘‘बड़े -बड़े आयोजनों, हाथ मिलाने, गले मिलने और इवेंट करने का जमीनी सच सबके सामने है। देश इसका जवाब मांग रहा है क्योंकि भारतीयों पर सीधा आघात हो रहा है।” उन्होंने कहा कि, ‘‘अमेरिका में लिए गए इस एकतरफा निर्णय से लगभग 85,000 एच-1बी वीजाधारक प्रभावित हुए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि वीजा निलंबित किए जाने को कई हफ्ते हो भी गए, लेकिन हमारी सरकार कुछ कर नहीं पाई। अमेरिका के इस निर्णय का सबसे ज्यादा नुकसान भारतीय युवाओं को हुआ है क्योंकि हर चार एच-1बी वीजा में से तीन भारतीय को मिलते रहे हैं।
वहीँ कुवैत में नए कानून का हवाला देते हुए सिंघवी ने कहा कि नए कानून के मुताबिक कुवैत में हर देश के नागरिकों की आबादी को 15 फीसदी तक सीमित करने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खाड़ी देशों का कई बार दौरा कर चुके हैं और पुरस्कारों का आदान-प्रदान भी हुआ है, लेकिन कुवैत इस तरह के निर्णय कर रहा है।
सिंघवी ने कहा, ‘‘कुवैत आर्थिक रूप से हम पर निर्भर है और उसने एक तरह से तय कर दिया कि सीमित संख्या में भारतीय ही रह सकते हैं, बाकी वापस लौट जाएं। इससे लाखों भारतीय नागरिकों के लिए मुश्किल पैदा हो गई है।”
सिंघवी ने सवाल किया कि “आखिर सरकार क्या कर रही थी?” उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की मानहानि हो रही है और सरकार भारत के उन वर्गों पर प्रहार कर रही है जो अपनी काबिलियत से देश का नाम रोशन करते हैं। सिंघवी ने आरोप लगाया कि सरकार के पास न हल है, न कोई नीति।
वहीँ देश में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि रोजगार के आंकड़े सबको पता है, पिछले वित्त वर्ष में 40.4 करोड़ रोजगार थे। इस वर्ष में 37.4 करोड़ रोजगार हैं। कोरोना के बाद अकेले अप्रैल में 12 करोड़ रोजगार का नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि मई-जून में मनरेगा के कारण रोजगार का आंकड़ा 7 करोड़ बढ़ा है। इनमें से अधिकांश किसान, दिहाड़ी मजदूर आदि हैं। इसी मनरेगा को गालियां दी जा रही थी।