पेगासस मामले में विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने के लिए कांग्रेस सांसद का लोकसभा अध्यक्ष को पत्र
नई दिल्ली। बजट सत्र से पहले पेगासस को लेकर आई न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट पर एक बार फिर देश की राजनीति में उबाल आने की संभावना दिखाई दे रही है। पेगासस पर आयी न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस ने मोदी सरकार पर संसद से लेकर सुप्रीमकोर्ट तक को गुमराह करने का बड़ा आरोप लगाया है।
पेगासस मामले को लेकर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव चलाने की मांग की है।
चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में कहा कि न्यूयॉर्क टाइम्स में 28 जनवरी 2022 को छपी खबर के मुताबिक भारत सरकार ने 2017 में 20 लाख डॉलर के डील पैकेज के साथ जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस की डील की। इसके जरिये राजनेताओं, जजों, पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया।
उन्होंने कहा कि पिछले साल संसद के मानसून सत्र में यह मुद्दा उठा। विपक्षी पार्टियों ने इस स्कैंडल पर चर्चा करने की मांग की। लेकिन सरकार ने संसद में हर बार यही कहा कि पेगासस को लेकर कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है। सरकार ने दावा किया कि इजराइल के एनएओ ग्रुप से यह जासूसी सॉफ्टवेयर कभी खरीदा ही नहीं गया।
कांग्रेस सांसद ने पत्र में कहा कि मोदी सरकार ने इस जासूसी सॉफ्टवेयर के बारे में सुप्रीम कोर्ट तक में झूठ बोला। सरकार ने शपथ पत्र में कहा कि हम पेगासस मुद्दे को लेकर सभी आरोपों को नकारते हैं। इस सबको देखते हुए मैं आईटी मंत्री के खिलाफ सदन को गुमराह करने के लिए विशेषाधिकार प्रस्ताव पेश करता हूं।
पेगासस मामले के खुलासे के बाद से ही कांग्रेस मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर है। पार्टी ने पेगासस जासूसी को लेकर संसद से सड़क तक मोदी सरकार के खिलाफ विरोध जताया है।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में आयी न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला था। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राजनेताओं और जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस खरीदा था। फोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है, ये देशद्रोह है।
बता दें कि गासस सॉफ्टवेयर से जुड़े विषय की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के तहत एक समिति कर रही है, जिसकी अध्यक्षता शीर्ष न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरवी रविंद्रन कर रहे हैं।