दिल्ली में सधी हुई रणनीति से आगे बढ़ेगी कांग्रेस, बीजेपी को सत्ता से बाहर रखना चुनौती
नई दिल्ली। दिल्ली में होने जा रहे विधानसभा चुनावो को लेकर कांग्रेस बेहद सधी हुई रणनीति से आगे बढ़ रही है। पार्टी के सामने खोई हुई सीटें हासिल करने के अलावा बड़ी चुनौती बीजेपी को सत्ता से बाहर रखना है।
पार्टी सूत्रों की माने तो कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रदेश कांग्रेस नेताओं को साफ़ तौर पर निर्देश दिए हैं कि वे केजरीवाल सरकार पर हमले बोलते समय भविष्य की राजनीति का भी ध्यान रखें।
सूत्रों के मुताबिक पार्टी के रणनीतिकार अभी से यह मानकर चल रहे हैं कि दिल्ली में भी बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए यदि अंत में आमआदमी पार्टी को सहयोग देना या लेना पड़े तो उसमे कोई मुद्दा रार न बने।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि आज की स्थति देखें तो राज्य में कांग्रेस-बीजेपी की स्थति एक जैसी ही है लेकिन यदि चुनाव परिणाम महाराष्ट्र या कर्नाटक जैसे आये तो उस स्थति में बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए पार्टी कोई भी बड़ा फैसला लेने में देर नहीं करेगी।
सूत्रों की माने पार्टी आलाकमान ने साफ़ तौर पर निर्देश दिए हैं कि पूरे चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी नेता विवादास्पद मुद्दों से परहेज करें, खासकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और पीएम नरेंद्र मोदी पर किसी तरह का कोई व्यक्तिगत हमला न करें।
सूत्रों ने कहा कि चुनाव में पार्टी मुद्दों पर आधारित मामले जनता के बीच ले जायेगी और कांग्रेस द्वारा किये गए वादों को जनता के बीच रहेगी। चुनाव प्रचार में जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने का मुद्दा नहीं छुआ जायेगा बल्कि नागरिकता कानून और एनआरसी के मुद्दे को जनता के समक्ष रखा जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि पार्टी का फोकस दिल्ली के बाहर से आकर दिल्ली में बसे मतदाताओं, अल्पसंख्यको, दलितों और पिछडो पर रहेगा। सूत्रों ने कहा कि चुनाव प्रचार के लिए स्टार प्रचारकों की लिस्ट में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं, मुख्यमंत्रियों और पूर्व मुख्यमंत्रियों, सांसदों और विधायकों को शामिल किया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में चर्चा के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा था कि बीजेपी की ताकत कम करने के लिए ज़रूरी है कि उसे राज्यों में सत्ता से बेदखल किया जाए। सम्भवतः इसी रणनीति के तहत पार्टी आगामी विधानसभा चुनावो में क्षेत्रीय और छोटे दलों को आगे कर सकती है।