सीएए के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई: केंद्र सरकार ने दी ये दलील

सीएए के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई: केंद्र सरकार ने दी ये दलील

नई दिल्ली। नागरिकता कानून (सीएए) की वैधता को चुनौती देने वाली करीब 160 याचिकाओं पर सुप्रीमकोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को जारी किये गए नोटिस पर मंगलवार को केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है।

केंद्र ने अपने जबाव में कहा है कि सीएए किसी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करता और इससे संवैधानिक नैतिकता के उल्लंघन होने का सवाल ही पैदा नहीं होता।

केंद्र सरकार की तरफ से दाखिल 129 पन्नों के प्रारंभिक हलफनामें में केंद्र सरकार ने दलील दी है कि सीएए किसी भी मौजूदा अधिकार पर लागू नहीं होता है जो संशोधन लागू होने से पहले मौजूद थे।

सरकार की तरफ से दायर किये गए हलफनामे में कहा गया है कि यह अधिनियम(सीएए) पूरी तरह से कानूनी है और इससे किसी तरह की सांविधानिक नैतिकता के हनन का कोई सवाल ही नहीं है। याचिकाओं को खारिज किए जाने की अपील करते हुए सरकार ने कहा कि यह अधिनियम न्यायिक परीक्षण के दायरे में नहीं आना चाहिए।

यह अधिनियम व्यक्ति के कानूनी, लोकतांत्रिक या पंथनिरपेक्ष अधिकार को प्रभावित नहीं करता है। केंद्र सरकार ने कहा कि यह अधिनियम किसी की नागरिकता छीनने वाला नहीं है बल्कि नागरिकता देने वाला है।

सरकार ने कहा है कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता ‘अधार्मिक’ नहीं है बल्कि यह सभी धर्मों का संज्ञान लेती है और सौहार्द व भाईचारे को बढ़ावा देती है। सरकार ने कहा, सीएए हितकारी कानून है। यह कानून कुछ चुनिंदा देशों के कुछ समुदायों को एक निश्चित कट-ऑफ डेट के साथ रियायत देने वाला है।

गौरतलब है कि नागरिकता कानून (सीएए) की वैधता को चुनौती देने वाली करीब 160 याचिकाओं पर सुप्रीमकोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ सुनवाई कर रही है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। अब केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है।

बता दें कि सीएए की संवैधानिक वैधता को इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग, पीस पार्टी, असम गण परिषद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, जमायत उलेमा ए हिन्द, जयराम रमेश, महुआ मोइत्रा, देव मुखर्जी, असददुद्दीन ओवेसी, तहसीन पूनावाला व केरल सरकार सहित अन्य ने चुनौती दी है। इसके अलावा भीम आर्मी के चंद्रशेखर ने दायर याचिका में कहा है कि सीएए अनुसूचित जाति और जनजाति के नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन करता है।

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TeamDigital