#Brexit: ब्रिटेन ने की EU से बाहर होने के पक्ष में वोटिंग
लंदन। ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन यानी ईयू में रहे या न रहे इसे लेकर ब्रिटेन की जनता ने अपना फैसला सुना दिया है। देश के ऐतिहासिक रेफरेंडम के नतीजे आ चुके हैं और इसके अनुसार 51.8 प्रतिशत लोगों ने ईयू से बाहर होने के लिए मतदान किया है। इसके बाद अब ब्रिटेन पहला देश होगा जो ईयू से बाहर हो जाएगा।
हालांकि अंतिम नतीजों से पहले ही यह साफ हो गया था कि ब्रिटेन के दिल में क्या है और इसी के चलते दुनियाभर के बाजारों में हाहाकार मच गया। जापान के निक्की स्टॉक के सूचकांक में 8 फीसद से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, भारतीय और एशियाई बाजारों पर नजर आ रहा है। शुक्रवार को बाजार गिरावट के साथ खुला और कुछ ही देर में तहलका मच गया। खुलने के कुछ देर बाद ही सेंसेक्स में जहां 1000 अंकों की गिरावट नजर आई वहीं निफ्टी भी 300 अंक गिर गया।
हालांकि शुरुआती खबरों में पता चला कि लोग बड़ी संख्या में वोट डालने के लिए मतदान केंद्रों पर पहुंचे और मतदान का प्रतिशत काफी ऊंचा रहा। साथ ही साथ विदेशी मुद्रा बाजार में यूरो की कीमत तेजी से चढ़ी तो दूसरी तरफ पाउंड भी इस साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया।
इसे भी इस बात का संकेत माना जा रहा है कि ब्रिटेन की जनता ने यूरोपीय संघ में बने रहने के लिए वोट दिया होगा। यूरोपीय संघ से बाहर जाने के लिए अभियान चलाने वाले बड़े नेता निगेल फराज ने कहा है कि ऐसा लगता है कि उनका पक्ष नहीं जीत पाएगा।
यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद भी ब्रिटेन ने साझा मुद्रा यूरो नहीं अपनाई। साथ ही अपना मुक्त बाजार रवैया जारी रखा और नीदरलैंड्स, स्वीडन जैसे कुछ अन्य देशों ने भी ऐसा किया।
ब्रिटेन के ईयू से बाहर निकलने के बाद हो सकता है कि 28 देशों के ब्लॉक के कुछ अन्य देश भी इस राह चलें। चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री बोहुस्लाव सोबोत्का ने कहा है कि ब्रिटेन के ईयू को छोड़ने से यूरोप में राष्ट्रीयता और अलगाववाद की एक लहर चल सकती है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन अपने देश को ईयू के साथ बनाए रखने के लिए देश भर में दौरे कर रहे थे। दूसरी ओर ब्रिटिश कैबिनेट ही इस मुद्दे पर विभाजित थे। 17 सदस्य ईयू के साथ रहने तो पांच ब्रेक्जिट के पक्ष में थे।