Breaking: ज्ञानवापी केस में आया फैसला, कोर्ट ने कहा “यह मामला सुनने योग्य”
वाराणसी। ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में वाराणसी की जिला अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई योग्य माना है।
जिला न्यायालय में जज ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस सुनने लायक है। इस मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी विवाद में पोषणीयता के मामले में वाराणसी के जिला जज ए.के. विश्वेश की अदालत में बीते 24 अगस्त को सुनवाई पूरी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज वाराणसी की अदालत में मामले की पोषणीयता पर सुनवाई हो रही थी।
सिविल के अभी तक के मामलों में पोषणीयता पर हुई सुनवाई में सबसे लंबी सुनवाई हुई है। 21 दिन की सुनवाई के बाद बीते 24 अगस्त को इस मामले में जिला जज वाराणसी ए.के. विश्वेश ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कब क्या क्या हुआ:
- ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिन्दू पक्ष का दावा है कि 16वीं सदी में मुगल बादशाह औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को गिराकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी।
- इस मामले में अप्रैल 2021 में वाराणसी कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग को मस्जिद का सर्वे करके रिपोर्ट जमा करने का आदेश दिया था। बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर आधा दर्जन से ज्यादा मुकदमे अलग-अलग अदालतों में लंबित हैं।
- मई में, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को वाराणसी के जिला न्यायाधीश की अदालत को सौंप दिया, इसे निचली अदालत से स्थानांतरित कर दिया, जहां उस समय तक सुनवाई हो रही थी।
- मई में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि “मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, वाराणसी में सिविल जज के समक्ष दीवानी मुकदमे की सुनवाई यूपी न्यायिक सेवा के एक वरिष्ठ और अनुभवी न्यायिक अधिकारी के समक्ष की जाएगी।”
- याचिकाकर्ताओं ने कहा कि फिल्मांकन 1991 के पूजा स्थल अधिनियम के खिलाफ है, जो 15 अगस्त, 1947 तक किसी भी पूजा स्थल की धार्मिक स्थिति को बनाए रखता है।
- मस्जिद समिति ने तर्क दिया था, “इस तरह की याचिकाओं और मस्जिदों को सील करने से सांप्रदायिक विद्वेष पैदा होगा, देश भर की मस्जिदों पर असर पड़ेगा।”
- मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से एक महीने पहले, वाराणसी की सिविल कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों का दावा करने वाली याचिका के आधार पर ज्ञानवापी मस्जिद के वीडियोग्राफी का आदेश दिया था।
- मस्जिद में फिल्मांकन की एक रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में वाराणसी की अदालत में प्रस्तुत किया गया था, लेकिन वीडियोग्राफी के कुछ अंश सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे। हिन्दू पक्ष पर वायरल करने के आरोप भी लगे थे।
- रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मस्जिद परिसर के भीतर एक तालाब में एक “शिवलिंग” पाया गया था, जिसका इस्तेमाल मुस्लिम प्रार्थनाओं से पहले “वज़ू” के लिए किया जाता था। उस वक्त मामले की सुनवाई कर रहे जज ने इस कुएं को सील करने का आदेश दिया था।
- सदियों पुरानी मस्जिद के अंदर इस फिल्मांकन को ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
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