बिहार में उपचुनाव के परिणाम से तय हो जायेगा नीतीश के बिना बीजेपी का नफा-नुकसान
पटना। बिहार में दो विधानसभा सीटों के उपचुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि उपचुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए एक आइना होंगे तो जदयू से गठबंधन टूटने का नफा-नुकसान तय करेंगे।
बिहार में गोपालगंज और मोकामा सीटों के लिए उपचुनाव होना है। दोनों सीटों के लिए प्रत्याशी 14 अक्टूबर तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे। वहीँ 15 अक्टूबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 17 को नाम वापसी की तिथि निर्धारित है।
दो सीटों के उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। वहीँ दूसरी तरफ महागठबंधन अपना संयुक्त उम्मीदवार मैदान में उतरेगा।
सूत्रों की माने तो उपचुनाव में महागठबंधन का साझा उम्मीदवार उतारे जाने पर कांग्रेस-जेडीयू और राजद के बीच सहमति हो गई है। सूत्रों ने कहा कि राजद-जेडीयू और कांग्रेस के गठजोड़ वाले महागठबंधन का साझा उम्मीदवार खड़ा होने से बीजेपी और महागठबंधन के बीच सीधा सीधा मुकाबला होगा।
माना जा रहा है कि उपचुनाव के परिणाम सत्ता पक्ष के लिए उसके कामकाज का रिपोर्ट कार्ड होगा वहीँ विपक्षी भाजपा के लिए नीतीश कुमार की जेडीयू से गठबंधन खत्म होने से नफा-नुकसान तय करेगा।
गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों की एकता के लिए प्रयास जारी रखने का एलान किया है। दोनों नेताओं का दावा है कि यदि विपक्षी दल एकजुट होकर चुनाव लड़ें तो भाजपा का सफाया तय है। ऐसे में उपचुनाव के परिणाम विपक्षी एकता के प्रभाव को भी तय करेगा।