आज के दौर में आसान नहीं है पत्रकारिता, चुनौतियों के साथ हैं बड़े खतरे

आज के दौर में आसान नहीं है पत्रकारिता, चुनौतियों के साथ हैं बड़े खतरे

ब्यूरो (गौरव राजपुरोहित)। कोरोना वायरस के इस संकट में मीडिया की जिम्मेदारी बढ़ गई है, हम इस समय दोहरी चुनौती का सामना कर रहे हैं। पहली चुनौती ये है कि बतौर पत्रकार हम कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के बीच खुद को सुरक्षित रखते हुए आप तक देश और दुनिया की खबरे पहुचा रहे है।

एक पत्रकार के जीवन मे कोई शांति काल नहीं होता है। वो कभी युद्धग्रस्त देशों में रिपोर्टिंग के दौरान मारा जाता है, कभी किसी माफिया के हाथों मारा जाता है, कभी बंधक बना लिया जाता है, इन सबसे बच भी गया तो धमकी की शक्ल में मौत उसके जीवन में दस्तक देती रहती है। उसके खिलाफ FIR दर्ज कराई जाती है, पत्रकार को अलग-अलग तरीके से परेशान किया जाता है।

इस समय ये बात इसलिए ज्यादा खतरनाक हो गई है, क्योंकि आजकल कोरोना वायरस का खतरा भी हर पत्रकार का पीछा कर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में दुनिया भर में 49 पत्रकार मारे गए। 389 पत्रकारों को उनकी पत्रकारिता को लेकर अलग-अलग आरोपों में जेल में बंद कर दिया गया। जबकि 57 पत्रकारों को बंधक बनाया गया। पिछले 10 वर्षों में कुल मिलाकर दुनियाभर में 941 पत्रकारों की हत्या कर दी गई। अर्थात इन्हें सच बोलने की कीमत चुकानी पड़ी है।

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