बबिता जोसफ की कविता: जीवन के काल चक्र में
भव के भव्य रंग मंच में
हर शख्स को उसके कर्म
विविध किरदार
दे जाते हैं।
जीवन के काल चक्र में
इष्ट-अनिष्ट के संयोग-वियोग
कभी हर्षित
कभी शोकित
कर जाते हैं।
किसे तजें
किसे भजें
तटस्थ भाव से
किरदार निभाते
हर पात्र जगत से एक दिन
विदा हो जाते हैं
जीवन सुंदर हो फूलों सा
रहकर कांटों की बस्ती में भी
अपनी रंगबिरंगी काया से
धरा पर सतरंगी
इंद्रधनुष सजाते हैं।
बहते समीर के झोंकों में पुष्प
मृदु सुरभि कुम्भ छलकाते हैं
लघु जीवन पाकर भी
हर क्षण हर्ष के
संदेशे भिजवाते हैं ।
–बबिता जोसफ
हिंदी काव्य के क्षेत्र में पहचान बनाने वाली बबिता जोसफ अपनी कविताओं के माध्यम से सामयिक विषयो को रेखांकित करने के लिए जानी जाती हैं। वे अपनी कविताओं में दुनिया की वर्तमान स्थितियों और परिस्थितियों का सजीव चित्रण करती हैं।
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