किसान आंदोलन जारी, किसानो और सरकार के बीच आज फिर बैठक
नई दिल्ली। आज दिल्ली के विज्ञान भवन में सरकार और किसानो के बीच फिर बातचीत हो रही है। अब से थोड़ी देर पहले किसान संगठनों के प्रतिनिधि बातचीत के लिए विज्ञानं भवन पहुंच चुके हैं। अब तक सरकार और किसानो के बीच चार बार बातचीत हो चुकी है लेकिन अब तक की बातचीत बेनतीजा रही है। आज पांचवे दौर की बातचीत होगी।
विज्ञानं भवन पहुंचने से पहले गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तौमर और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की।
वहीँ दूसरी तरफ किसानो का आंदोलन आज भी जारी है। किसान संगठनों का कहना है कि यदि आज भी सरकार के साथ बातचीत के बाद कोई हल नहीं निकलता तो 8 दिसंबर को भारत बंद का आयोजन किया जाएगा।
किसान संयुक्त मोर्चा के प्रधान रामपाल सिंह ने कहा कि आज आर-पार की लड़ाई करके आएंगे, रोज-रोज बैठक नहीं होगी। आज बैठक में कोई और बात नहीं होगी, कानूनों को रद्द करने के लिए ही बात होगी: आज केंद्र सरकार के साथ कृषि कानूनों पर होने वाली बैठक पर।
किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी, पंजाब के संयुक्त सचिव ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि आज की बैठक में समाधान निकलने की संभावना है लेकिन जैसे सरकार ने कमियों के साथ बिलों को पारित किया उससे उनकी नीतियों पर आज भी हमें शक है। वो शायद कोई फाॅर्मूला निकालें, लेकिन फाॅर्मूले से बात नहीं बनेगी। इन कानूनों को रद्द किया जाये।
पटना में राष्ट्रीय जनता दल का प्रदर्शन:
किसान आंदोलन के समर्थन में पटना के गांधी ग्राउंड में आज राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया गया। राजद नेता तेजस्वी कहा कि कृषि क़ानून किसान विरोधी हैं, हमारी मांग है कि जो किसान सड़कों पर आंदोलन कर रहें हैं उनकी सभी मांगों को पूरा किया जाए। हम किसानों की मांगों के साथ हैं।
तमिलनाडु में किसानो के समर्थन में डीएमके की रैली:
किसान आंदोलन को गैर बीजेपी दलों के समर्थन मिलना जारी है। सेलम में कृषि क़ानूनों के खिलाफ डीएमके नेता स्टालिन के नेतृत्व में बड़ी प्रदर्शन रैली का आयोजन किया गया। इस रैली में हज़ारो की संख्या में तमिलनाडु के किसानो ने भाग लिया।
सरकार अपना अड़ियल रवैया छोड़े: एनसीपी
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मालिक ने कहा कि केंद्रीय सरकार की बैठक हो रही है, हमें लगता है कि सरकार को अपना अड़ियल रवैया छोड़ना होगा। किसानों की मांगों को मानना पड़ेगा, किसान क्या चाहता है उसे अनदेखा करना उचित नहीं है। किसान आंदोलन पूरे देश में फैलता जा रहा है इसलिए सरकार जल्द ही उनकी मांगे पूरी करें।