हाईकोर्ट ने डा कफील पर रासुका को बताया अवैध, तुरंत रिहा करने के आदेश
लखनऊ ब्यूरो। भड़काऊ भाषण देने के आरोप में पिछले कई महीनो से जेल में बंद डा कफील की रिहाई का रास्ता साफ़ हो गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज डॉक्टर कफील पर रासुका के तहत की गई कार्रवाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध करार देते हुए तुरंत रिहाई के आदेश दिए हैं।
डॉ. कफील खान की मां नुजहत परवीन द्वारा रासुका के तहत निरुद्धि के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की पीठ ने डॉक्टर कफील पर रासुका लगाने संबंधी डीएम अलीगढ़ के 13 फरवरी 2019 के आदेश को रद्द कर दिया है।
पीठ ने कहा कि बंदी को उसका पक्ष रखने का उचित अवसर नहीं दिया गया, जिन आशंकाओं पर रासुका तामील की गई उससे संबंधित लिखित दस्तावेज उसे मुहैया नहीं कराए गए।
पीठ ने सरकार की इस दलील को भी अस्वीकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि कफील खान जेल में रहते हुए भी लगातार एएमयू के छात्रों के संपर्क में थे। जिससे शहर की लोक शांति भंग होने का खतरा था।
कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया है जिससे यह साबित हो कि डा कफील किसी के संपर्क में थे। कोर्ट यह भी कहा कि डा कफील जेल में बंद थे, उनके पास कोई ऐसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस नहीं थी, जिससे वे किसी से संपर्क कर सकते। कोर्ट ने कहा कि कफील खान पर की गई रासुका के तहत कार्रवाई और उसकी अवधि बढ़ाने का आदेश दोनों कानून की नजर में अवैधानिक है।
क्या है मामला:
डा. कफील खान को सीएए्, एनआरसी के विरोध में एएमयू के छात्रों के बीच भड़काऊ भाषण देने के आरोप में 29 जनवरी 2020 को गिरफ्तार कर लिया गया था। 10 फरवरी को सीजेएम अलीगढ़ ने उनकी जमानत मंजूर कर ली। रिहाई का आदेश 13 फरवरी को जेल पहुंचा और इसी दिन कफील पर जिलाधिकारी अलीगढ़ ने पुलिस की मांग पर रासुका तामील करने का आदेश जारी कर दिया। रासुका लग जाने के कारण उनकी रिहाई नहीं हो सकी।