सीएए प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाही: यूपी सरकार के जबाव से संतुष्ट नहीं हाईकोर्ट
लखनऊ। नागरिकता कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाही पर उत्तर प्रदेश सरकार के जबाव से इलाहबाद हाईकोर्ट ने असहमति जताते हुए कई बिंदुओं पर जानकारी तलब की है।
इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी तलब की है। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हिंसा हुई थी। हिंसा को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
सोमवार को चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की बेंच में मुंबई के वकील अजय कुमार और पीएफआई संगठन समेत 14 अर्जियों पर हुई। मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।
सोमवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ने पूछा कि पुलिस ने कितनी शिकायतों पर केस दर्ज किया। हिंसा में मारे गए 23 प्रदर्शनकारियों की मौत के मामले में दर्ज एफआईआर और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी कोर्ट ने तलब किया। अदालत ने हिंसा में घायल पुलिस वालों का भी ब्योरा मांगा है।
शाहीन बाग़ में अपनी आवाज़ बुलंद करेंगी मुनव्वर राणा की बेटी फौजिया और सुमैया
नागरिकता कानून के खिलाफ लखनऊ के घंटाघर पर आंदोलन की सूत्रधार बनी मशहूर शायर मुनव्वर राणा की बेटी फौज़िया और सुमैया जल्द ही शाहीन बाग़ में अपनी आवाज़ बुलंद करेंगी।
लखनऊ में नागरिकता कानून के खिलाफ आंदोलन को दिशा देने वाली फौज़िया और सुमैया उस समय चर्चा में आयीं जब पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया। पुलिस की इस कार्रवाही पर मुनव्वर राणा ने कहा था कि मुझे फक्र है कि अल्लाह ने सिर्फ मुझे बेटियां ही दीं, अगर मेरे बेटा होता तो मैं उसे भी सीएए के खिलाफ आंदोलन में खड़ा होने से नहीं रोकता।
गौरतलब है कि नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग़ में पिछले एक महीने से अधिक समय से प्रदर्शन हो रहा है। नागरिकता कानून के खिलाफ शाहीन बाग़ में चल रहे धरने की तर्ज पर लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज सहित कई शहरो में महिलाएं धरने पर बैठी हैं। नागरिकता कानून को लेकर लोगों में लगातार आक्रोश बढ़ रहा है और अनिश्चितकालीन धरनो का सिलसिला मुंबई,जमशेदपुर, पटना सहित कई शहरो तक पहुँच गया है।