नागरिकता कानून: दिल्ली में मुसलमानो ने रखा रोज़ा, हैदराबाद में ओवैसी की तिरंगा यात्रा
नई दिल्ली। अगले कुछ दिनों में नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध और जोर पकड़ सकता है। हैदराबाद में जहाँ आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में तिरंगा यात्रा निकाली गई। असदुद्दीन ओवैसी तिरंगा यात्रा के बाद एक सभा को सम्बोधित करेंगे।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ अनिश्चितकालीन नॉनस्टॉप धरना शुरू करेगी। टीएमसी की ओर से कोलकाता में नेता इसके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। बता दें कि ममता बनर्जी लगातार इस कानून के खिलाफ सड़कों पर हैं और इस कानून को अपने राज्य में लागू करने से इनकार कर चुकी हैं।
वहीँ दूसरी तरफ दिल्ली के जामा मस्जिद पर जुमे की नमाज़ के बाद नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। मुस्लिम संगठनों ने आज एक दिन का रोज़ा रखने का एलान किया है। ये सांकेतिक रूप से केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन एक्ट के विरोध में होगा। शाम को संविधान की प्रस्तावना पढ़ने के साथ ही रोज़ा तोड़ा जाएगा।
चेन्नई में जुमे की नमाज़ के बाद हाथो में तिरंगा झंडे लेकर मौन जुलुस निकाला। इस प्रदर्शन का आयोजन कई मुस्लिम संगठनों ने किया है। खबरों के मुताबिक जुमे की नमाज़ के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिदों से प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल होते गए और धीमे धीमे यह तादाद बढ़ती गई।
माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में नागरिकता कानून का विरोध और भी जोर पकड़ सकता है। सूत्रों की माने तो कई सामजिक संगठन नागरिकता कानून के खिलाफ सड़को पर आ सकते हैं। इनमे किसान संगठनों और लेवर यूनियनों के शामिल होने की संभावना जताई गई है।
वहीँ कल शनिवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक होने जा रही है। नागरिकता कानून और एनआरसी को लेकर पार्टी की कार्यसमिति की बैठक में चर्चा हो सकती है। कांग्रेस सूत्रों की माने तो नागरिकता कानून को लेकर पार्टी अपनी रणनीति तय करेगी।
नागरिकता कानून के खिलाफ सभी याचिकाओं पर 22 जनवरी को सुनवाई करेगा सुप्रीमकोर्ट :
नई दिल्ली। नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट मे दायर याचिकाओं पर कोर्ट 22 जनवरी को सुनवाई करेगा। केंद्र की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नोटिस जारी कर 22 जनवरी को सभी दलीलों पर सुनवाई के लिए विचार करने की बात कही है।
गौरतलब है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नागरिकता कानून को लेकर देश के विभिन्न हाई कोर्ट में दायर की गई याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए याचिका दायर की थी।
पिछली सुनवाई में देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि पहली नजर में उसका मत है कि सीएए संबंधी याचिकाएं हाइकोर्ट देखे और राय में मतभेद होने पर सुप्रीम कोर्ट उन पर विचार करे।
इस केंद्र की ओर से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसीटर जनरल जी. मेहता ने कहा था कि अलग-अलग उच्च न्यायालयों के मत अलग हो सकते हैं जिससे समस्या पेश आ सकती है। इसलिए सभी मामलों की सुनवाई एक साथ की जाए। अब 22 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर सकती है।