सुप्रीमकोर्ट के फैसले के 3 साल बाद भी खाली हाथ है देश का मुसलमान
नई दिल्ली। अयोध्या को लेकर सुप्रीमकोर्ट द्वारा 9 नवबंर 2019 को दिए गए अपने फैसले में मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ भूखंड आवंटित करने का आदेश दिया था।
प्रस्तावित मस्जिद के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से अयोध्या के पास धन्नीपुर गांव में ज़मींन भी दी गई लेकिन आज तीन साल बीत जाने के बाद भी मस्जिद निर्माण के कार्य में कोई प्रगति नहीं हुई है।
प्रस्तावित मस्जिद के निर्माण के लिए किस गति से काम चल रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक अयोध्या विकास प्राधिकरण ने मस्जिद निर्माण के प्रस्ताव और मानचित्र को अपनी मंजूरी तक नहीं दी है।
हालांकि जब प्रस्तावित मस्जिद के निर्माण के लिए सरकार की तरफ से ज़मीन आवंटित की गई थी तब सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड और इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन द्वारा दावा किया गया था कि मस्जिद का निर्माण जल्द शुरू हो जायेगा। दावा किया गया था कि मस्जिद आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगी। इसमें अस्पताल, पुस्तकालय सहित कई सुविधाएं होंगी।
इतना ही नहीं दावा यह भी किया गया कि मस्जिद का स्ट्रक्चर-डिजायन आधुनिक होगा। इसके लिए ट्रस्ट की तरफ से एक तस्वीर भी जारी की गई थी लेकिन तीन साल गुजरने के बाद भी मस्जिद निर्माण के दावे सिर्फ कागजो पर ही दिख रहे हैं।
6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी। इस मामले में कई सालो तक निचली अदालतों में कानूनी लड़ाई चली और बाद में यह मामला सुप्रींकोर्ट पहुंचा। सुप्रीमकोर्ट ने इस मामले में 9 नवंबर 2019 को बड़ा फैसला सुनाते हुए विवादित ढांचे की 2.77 एकड़ ज़मीन हिंदू पक्षकारो को दी जाने और मुसलमानों को मस्जिद के लिए 5 एकड़ दूसरी जगह दिए जाने का फैसला सुनाया था।
सुप्रीमकोर्ट के फैसले के तीन साल बाद भी मुसलमान खाली हाथ हैं। अभी मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है, जबकि राम मंदिर का निर्माण कार्य बहुत तेजी से चल रहा है और माना जा रहा है कि 2024 में राम मंदिर विधिवत श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जायेगा।