बिहार में खेला होबे की तैयारी, मांझी के बाद मुकेश सहनी और लालू में बातचीत
पटना ब्यूरो। बिहार में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के जेल से बाहर आने के बाद राजनीति गरमा गई है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के नेता जीतनराम मांझी और राजद नेता तेज प्रताप के बीच हुई बैठक के बाद वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बीच बातचीत होने की खबर आ रही है।
जब एक न्यूज़ चैनल ने मुकेश सहनी से राजद सुप्रीमो लालू यादव से बातचीत को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने बस इतना ही कहा कि अभी अभी बात को पर्दे पर ही रहने दीजिए। यानी मुकेश सहनी ने यह तो स्वीकार कर लिया कि उनकी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से बातचीत हुई है।
वहीँ इससे पहले हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने राजद नेता तेजप्रताप के फोन से लालू प्रसाद यादव से बात की थी। खबर आई थी कि राजद नेता तेज प्रताप जीतनराम मांझी से मिलने उनके आवास पर पहुंचे हैं लेकिन दरअसल तेज प्रताप लालू यादव के कहने पर ही राजद कार्यालय से सीधे मांझी के आवास पहुंच गए थे और उन्होंने अपने फोन से जीतनराम मांझी और लालू यादव के बीच बातचीत कराई।
राजद सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि लालू यादव और जीतनराम मांझी के बीच फोन पर बातचीत हुई है। वहीँ सूत्रों ने कहा कि जल्द ही जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी लालू यादव से निजी तौर पर मुलाकात कर सकते हैं।
सूत्रों ने कहा कि बिहार में नीतीश सरकार में पिछले कुछ महीनो में असंतुष्ट लोगों की तादाद बढ़ी है। नतीजतन जदयू के कई विधायक दबी ज़ुबान में नीतीश सरकार की आलोचना करने से नहीं चूक रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, जीतनराम मांझी का तो नीतीश कुमार से मोह भंग हो गया है और वे कभी भी कोई बड़ा एलान कर सकते हैं। अभी हाल ही में जीतनराम मांझी ने बीजेपी नेताओं को निशाने पर लेते हुए कहा था कि ‘दलित का बच्चा पढ़े तो नक्सली, और मुस्लिम का पढ़े तो आतंकी ऐसी मानसिकता नहीं चलेगी।’
वहीँ दूसरी तरफ वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी भी लगातार नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। मुकेश सहनी कोरोना महामारी में अव्यवस्थाओं को लेकर भी सरकार को घेर चुके हैं।
फिलहाल बिहार में तूफ़ान आने से पहले जैसी खामोशी है। राजनीतिक कयासों और चर्चाओं का दौर जारी है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि किसी भी तख्ता पलट को ध्यान में रखकर बीजेपी और जेडीयू ने अपने विधायकों पर नज़र रखनी शुरू कर दी है।