95 फीसदी भारतीयों ने अपनी मर्जी से बनवाया आधार, सुप्रीम कोर्ट में इस दावे के बाद घिरी मोदी सरकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आधार को टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए अनिवार्य करने के सरकार के फैसले पर रोक लगाने की चर्चा गरम है। वहीं केंद्र सरकार ने सुप्रमी कोर्ट में मामले को लेकर कहा था कि 95.10 फीसद आबादी ने अपनी मर्जी से आधार में खुद को एनरोल कराया है ताकि वह सरकारी सुविधाओं का लाभ ले सकें।
इस मुद्दे को लेकर एक तरफ जहां मामला कोर्ट में गरम है वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया यूजर्स भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स सरकार के इस कदम की आलोचना कर उस पर चुटकी ले रहे हैं। कई लोगों ने अपनी मर्जी से आधार में खुद को एनरोल कराने के सरकार के दावे की आलोचना की है और उसे गलत बताया है।
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने कहा है कि लोगों ने अपनी मर्जी से नहीं बल्कि दबाव में आकर आधार चुनने का फैसला लिया। सरकार के बयान पर कटाक्ष करते हुए एक शख्स ने लिखा कि उन्होंने आधार को अपनी मर्जी इसलिए चुना क्योंकि बैंकों, गैस सब्सिडी वालों ने आधार के लिए रोना शुरू कर दिया था। उन्होंने यह भी लिखा कि आधार डेटा इंटरनेट पर मौजूद होता है और इससे प्राइवेसी रिस्क बढ़ जाता है। वहीं एक सोशल मीडिया यूजर ने तो अपने एक मोबाइल मैसेज का स्क्रीनशॉट लगाया जिसमें उसने अगल ही अंदाज में सरकार की बात पर चुटकी ली।
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को पैन कार्ड से जोड़ने वाले केंद्र सरकार के फैसले पर अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने आधार और पैन को जोड़ने वाले फैसलों को तो सही ठहाराया था लेकिन इसको जरूरी मानने से इंकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जिन लोगों पर आधार कार्ड नहीं है या फिर जिन्होंने अबतक वह नहीं बनवाया है उनके लिए यह फिलहाल जरूरी नहीं है।
दूसरी तरफ 10 जून को केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 1 जुलाई से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए आधार को अनिवार्य करने का फैसला सुनाया था। सीबीडीटी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए बतया था कि 1 जुलाई 2017 से हर शख्स जो आधार पाने के लिए बाध्य है , उसके लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने या पैन आवेदन के लिए अपने आधार नंबर का उल्लेख या आधार पंजीकरण संबंधी आईडी नंबर का जानकारी देना अनिवार्य होगा।