2019 के लिए दो तरह की रणनीति पर विचार कर रही कांग्रेस
नई दिल्ली। 2019 के आम चुनावो के लिए कांग्रेस ने अभी से कमर कसना शुरू कर दिया है। कांग्रेस इसके लिए राज्य स्तर पर एक एक विधानसभा के आंकड़ों को लेकर गहन मंथन कर रही है।
पार्टी सूत्रों की माने तो 2019 में बीजेपी को परास्त करने के लिए कांग्रेस दो तरह की रणनीति को अंतिम रूप दे रही है। 2019 में राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष का गठजोड़ बनने और गठजोड़ न बनने की दशा को ध्यान में रखकर दो तरह की रणनीतियां बनाई जा रही हैं।
यदि विपक्ष का गठजोड़ बनता है तो उस दशा में कांग्रेस किन किन लोकसभा सीटों पर अपना दावा करेगी उसकी भी तैयारी की जा रही है। वहीँ दूसरी तरफ यदि विपक्ष का गठजोड़ नहीं बनता है तो राष्ट्रीय स्तर पर बने समीकरणों में पार्टी किस तरह चुनाव लड़ेगी, इस पर भी विचार किया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा पिछले दिनों दिए गए बयान को कांग्रेस ने गंभीरता से लिया है। बता दें कि अभी हाल ही में अखिलेश यादव ने कहा था कि उनकी राहुल गांधी से दोस्ती है उनकी पार्टी से नहीं। इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने 2019 के प्रधानमंत्री के तौर पर अखिलेश यादव के पोस्टर भी लगाए थे।
ऐसे में कांग्रेस यह मानकर चल रही है कि ज़रूरी नहीं कि 2019 में विपक्ष का कोई गठजोड़ बन पाए। गठजोड़ न बनने के चलते राष्ट्रीय स्तर पर सेकुलर मतों का विभाजन तय है। सूत्रों की माने तो कांग्रेस में इस बात को लेकर मंथन चल रहा है कि किस तरह क्षेत्रीय दलो की मौजूदगी के बावजूद कांग्रेस अधिक से अधिक सीटें जीत सकती है।
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की राज्य इकाइयों के अध्यक्षों में भी क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किये जाने पर एक राय नहीं हैं। उत्तर प्रदेश में राज बब्बर समाजवादी पार्टी से गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं वहीँ हरियाणा, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल में भी पार्टी की इकाई के अध्यक्ष बिना गठबंधन के चुनाव लड़ने के पक्षधर बताये जाते हैं।
ऐसे में पार्टी ने तय किया है कि दो अलग अलग रणनीतिओं पर काम हो। यदि गठबंधन बनता है तो पार्टी की क्या रणनीति होगी तथा यदि गंठबंधन नहीं बनता तो पार्टी की दूसरी रणनीति क्या होगी।
सूत्रों के मुताबिक राजस्थान और उत्तर प्रदेश में हो रहे दो दो सीटों लोकसभा के लिए उपचुनाव में अभी तक किसी तरह के गठबंधन की बात ,सामने नहीं आयी है। राजस्थान में कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं। वहीँ उत्तर प्रदेश में पार्टी जल्द अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित कर सकती है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार उपचुनाव में किसी सीट पर क्षेत्रीय दलों की तरफ से गठबंधन का कोई प्रस्ताव नहीं मिला। इसलिए पार्टी यह मानकर चल रही है कि कुछ खास राज्यों में ही गठबंधन कर चुनाव लड़ा जा सकता है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में क्षेत्रीय दलों के साथ फिलहाल गठबधन की कल्पना करना व्यर्थ है।
सूत्रों के मुताबिक लोकसभा उपचुनाव के बाद पार्टी 2019 के चुनाव के लिए अपनी रणनीति पर अंतिम मुहर लगाएगी। सूत्रों की माने तो पार्टी चुनाव परिणामो से तय करेगी कि 2019 में किस रणनीति को लेकर आगे बढ़ा जाए।