14 अक्टूबर – 15 अप्रेल : बीत गए 6 माह लेकिन एक सवाल आज भी जस का तस ‘नजीब कहाँ है’

नई दिल्ली। दिल्ली की प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी के 6 महीने बीत जाने के बाद आज भी एक सवाल जस का तस खड़ा है ‘नजीब कहाँ है’ ? बीते 6 महीनो में इस सवाल का जबाव देने में नाकाम रही दिल्ली पुलिस आखिर नजीब मामले में अभी तक कोई जबाव देने की स्थति में क्यों नहीं है ?

नजीब कोई छोटा सा सामान नहीं जिसे किसी घर के कौने में छिपाकर रख दिया जाए। इसे सरकार और पुलिस की बेरुखी कहा जाए या लाचारी लेकिन बड़ी सच्चाई यही है कि नजीब मामले में प्रशासन ने उतनी फुर्ती नहीं दिखाई जितनी उसने कई बार अन्य मामलो में दिखाई है।

नजीब की तलाश में हाईकोर्ट पहुंचे नजीब के परिजनों की सबसे बड़ी शिकायत दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन से यही है कि दोनो ने नजीब मामले में कोई ठोस पहल नहीं की। नजीब के परिजनों की माने तो दिल्ली पुलिस ने आज तक उन्हें कोई ऐसा जबाव नहीं दिया जिससे लगे कि नजीब को तलाशने में दिल्ली पुलिस गंभीरता से आगे बढ़ रही है।

16 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस मामले में दिल्ली पुलिस को फटकारते हुए कहा था कि दिल्ली पुलिस सिर्फ पेपर वर्क पर ध्यान दे रही है और जनता का पैसा बर्बाद कर रही है लेकिन हमें इस मामले में जल्द से जल्द से नतीजे की दरकार है। हाईकोर्ट की टिप्पणी से साफ़ है कि कोर्ट भी इस मामले में दिल्ली पुलिस की प्रगति से संतुष्ट नहीं है।

नजीब की गुमशुदगी के बाद से जेएनयू के छात्रों ने कई धरने और विरोध प्रदर्शन किये लेकिन नजीब की गुमशुदगी पर न सरकार की नींद टूटी है और न ही पुलिस ने कुछ ऐसा कहा जिससे ये माना जाए कि नजीब को तलाश करने की कोशिशें जारी हैं।

गौरतलब है कि जेएनयू छात्र नजीब अहमद पिछले वर्ष 14 अक्टूबर की रात से लापता है। इस मामले में पहले दिल्ली पुलिस ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर पांच टीम बनायीं थीं । पुलिस सूत्रों के अनुसार नजीब की तलाश के लिए पुलिस टीमो को अलग अलग जगह भेजा गया था लेकिन कोई सफलता हाथ न लगने के बाद इस मामले को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को सौंप दिया गया। पुलिस ने नजीब के बारे में सूचना देने पर 10 लाख रूपए के इनाम का ऐलान भी किया है।

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TeamDigital