हिंदी दिवस पर अमित शाह बोले ‘एक देश – एक भाषा’, विपक्ष ने लिया आड़े हाथ

नई दिल्ली। हिंदी दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक देश एक भाषा की बात कहकर नया विवाद पैदा कर दिया है। अमित शाह ने कहा कि पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जिससे विदेशी भाषाएं अपनी जगह ना बना पाएं।
अमित शाह के बयान पर विपक्ष ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। अमित शाह के बयान पर पलटवार करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का ने हिंदी में ट्वीट करते हुए हिंदी दिवस की बधाई दी और कहा कि हमें सभी भाषाओं और संस्कृतियों का समान रूप से सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हम कई भाषाएं सीख सकते हैं लेकिन हमें अपनी मातृभाषा को कभी नहीं भूलना चाहिए।’
वहीँ डीएमके नेता एमके स्टालिन ने कहा, ‘हम लगातार हिंदी को थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं। आज अमित शाह द्वारा की गई टिप्पणी से हमें झटका लगा है, यह देश की एकता को प्रभावित करेगा। हम मांग करते हैं कि वह बयान वापस लें।’ उन्होंने कहा कि दो दिन बाद पार्टी की कार्यकारी समिति की बैठक होने वाली है जिसमें इस मुद्दे को उठाया जाएगा।
वहीँ आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत हिंदी, हिंदू और हिंदुत्व से कहीं बड़ा है।
उन्होंने कहा कि हिंदी सभी भारतीयों की मातृभाषा नहीं है, क्या आप विभिन्न मातृभाषाओं की विभिन्नता और सुंदरता की तारीफ कर सकते हैं ? ओवैसी कहा कि अनुच्छेद 29 सभी भारतीयों को भाषा, लिपि और संस्कृति का अधिकार देता है।
क्या कहा अमित शाह ने :
गौरतलब है कि एक कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने कहा कि विभिन्न भाषाएं और बोलियां हमारे देश की ताकत हैं लेकिन अब देश को एक भाषा की जरूरत है ताकि यहां पर विदेशी भाषाओं को जगह न मिल पाए। इसलिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने हिंदी की ‘राजभाषा’ के तौर पर जाना जाता था।