हाईकोर्ट के जज ने नरोदा पाटिया दंगे मामले की सुनवाई से खुद को अलग किया

अहमदाबाद । गुजरात उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने आज खुद को 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई से अलग कर लिया। ऐसा करने वाले वह तीसरे न्यायाधीश हैं। याचिकाएं जब सुनवाई के लिए उस पीठ के सामने लायी गयीं जिसमें न्यायमूर्ति अकील कुरैशी शामिल हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘मेरे सामने ना लाएं।’

गुजरात की पूर्व मंत्री मायाबेन कोडनानी और विश्व हिंदू परिषद के पूर्व नेता बाबू बजरंगी ने विशेष निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। पिछले साल न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति के एस झावेरी ने भी याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। दंगे में बचे लोगों और मामले की जांच करने वाली उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच दल :एसआईटी: ने भी सजा बढ़ाने की मांग को लेकर याचिकाएं दायर की हैं।

2002 में गोधरा में ट्रेन जलाने की घटना के एक दिन बाद नरोदा पाटिया में दंगे हुए थे जिसमें करीब 97 लोग मारे गए थे। मृतकों में अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग थे। अगस्त, 2012 में निचली अदालत ने 31 लोगों को दोषी करार दिया था और माया सहित 30 लोगों को मौत की उम्रकैद की सजा सुनायी थी। बजरंगी को ‘‘मौत तक उम्रकैद’’ की सजा सुनायी गयी थी।

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