सूचना न देने पर सीआईसी का आरबीआई गवर्नर को सख्त नोटिस
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल को नोटिस भेजा है। यह नोटिस जानबूझ कर जानकारी न देने के लिए भेजा गया है।
सीआईसी ने इसके साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कहा है कि वे फंसे हुए कर्ज पर आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का पत्र सार्वजनिक करें।
गौरतलब है कि सीआईसी ने आरबीआई से 50 करोड़ रुपए और उससे अधिक का कर्ज लेने और जानबूझकर उसे नहीं चुकाने वालों के नाम के संबंध में सूचना मांगी थी लेकिन आरबीआई की तरफ से यह सूचना उपलब्ध नहीं कराई गयी।
इससे नाराज़ सीआईसी ने आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल को सख्त नोटिस भेजकर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद 50 करोड़ रुपए और उससे अधिक का कर्ज लेने और जानबूझकर उसे नहीं चुकाने वालों के नाम के संबंध में सूचना नहीं दिए जाने पर क्यों न उन पर अधिकतम जुर्माना लगाया जाए ?
सीआईसी ने उल्लेखित किया कि पटेल ने गत 20 सितंबर को सीवीसी में कहा था कि सतर्कता पर सीवीसी की ओर से जारी दिशानिर्देश का उद्देश्य अधिक पारदर्शिता, सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देना तथा उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले संगठनों में समग्र सतर्कता प्रशासन को बेहतर बनाना है।
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा कि आयोग का मानना है कि आरटीआई नीति को लेकर जो आरबीआई गवर्नर और डिप्टी गवर्नर कहते हैं और जो उनकी वेबसाइट कहती है उसमें कोई मेल नहीं है। जयंती लाल मामले में सीआईसी के आदेश की उच्चतम न्यायालय द्वारा पुष्टि किए जाने के बावजूद सतर्कता रिपोर्टों और निरीक्षण रिपोर्टों में अत्यधिक गोपनीयता रखी जा रही है।
सीआईसी ने आरबीआई के संतोष कुमार पाणिग्रही की इन दलीलों को भी खारिज कर दिया कि सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून की धारा 22 उनके द्वारा उद्धृत उन विभिन्न कानूनों को दरकिनार नहीं करती जो जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों के नामों का खुलासा करने से रोकते हैं और इसलिए आरबीआई को खुलासे के दायित्व से मुक्त कर दिया जाना चाहिए।