सुप्रीम कोर्ट द्वारा जस्टिस लोया की मौत की जांच से इंकार पर विपक्ष ने उठाये सवाल
नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट द्वारा जस्टिस बीएच लोया की संदिग्ध मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं को ख़ारिज किये जाने को लेकर कांग्रेस सहित विपक्ष ने सवाल उठाये हैं।
पूर्व सांसद शरद यादव ने कहा कि जस्टिस लोया की मौत की जांच होनी चाहिए थी। कोई भी न्यायतंत्र को नुकसान पहुंचाना नहीं चाहता। पूरा विपक्ष इस मामले में जांच की मांग कर रहा है ।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है जिस तरह से याचिका को खारिज किया गया और ये कहा गया कि न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, ये गलत है। ये उपयुक्त टिप्पणी नहीं है।
शरद यादव ने कहा कि जज लोया की मौत एक गंभीर मामला है, लेकिन जिस तरह से इस मामले को खारिज कर दिया गया वो सही नहीं है। इस मामले से जुड़े कई मुद्दे हैं। अगर जांच होती तो लोगों का न्यायतंत्र पर विश्वास बढ़ता।
वहीँ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि जज लोया की मौत के बाद दो और साथियों की भी मौत हुई थी। इस मामले में कई तरह के आरोप सामने आए। मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन कर कांग्रेस पार्टी ने कहा कि इस मामले में कई सवाल अभी भी अनसुलझे हैं। सुरजेवाला ने कहा कि आज का दिन काफी दुखद है, जज लोया की मौत का जांच मामला काफी गंभीर था।
उन्होंने कहा कि वो सोहराबुद्दीन मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें अमित शाह का नाम आया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद भी कई तरह के सवाल बाकी हैं। उन्होंने कई तरह के सवाल उठाए।
1. सोहराबुद्दीन और प्रजापति के केस को 2012 में जजों का ट्रांसफर किया गया था. जज उत्पत का भी ट्रांसफर कर दिया गया था।
2. जज लोया को 100 करोड़ रुपए की रिश्वत, एक फ्लैट देने की पेशकश की गई थी।
3. जज लोया की मौत का हार्ट अटैक से मौत बताया गया था. लेकिन ईसीजी की रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नज़र आया था।
4. नागपुर में उनकी सुरक्षा को हटा दिया गया था।
5. जज लोया मुंबई से नागपुर ट्रेन के जरिए गए थे।
6. जज लोया के नागपुर रेलभवन में रुकने का कोई रिकॉर्ड नहीं।
7. जिस गेस्ट हाउस में जज लोया रुके हुए थे, वहां कई कमरे थे. लेकिन तीन जज उसी कमरे में ही क्यों रुके हुए थे।
8. परिवार को जज लोया के कपड़ों में गर्दन के पास खून मिला था।
9. पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट में उनका नाम गलत लिखा गया था।
10. जज लोया की मौत के बाद दो अन्य जजों की भी मौत हुई जिस पर भी कई तरह के सवाल हैं।
सुरजेवाला ने कहा कि भारत के लोगों को जवाब चाहिए. जांच से ही सब कुछ स्पष्ट हो पाएगा। लेकिन जज लोया के मामले में अब तक जांच नहीं हुई है। कोई तय नहीं कर सकता कि मौत प्राकृतिक है या नहीं। क्या केवल जजों के बयान के आधार पर अन्य दस्तावेज और संदिग्ध परिस्थितियों को दरकिनार किया जा सकता है।
गौरतलब है कि जस्टिस लोया बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई कर रहे थे। सोहराबुद्दीन मुठभेड़ के गवाह तुलसीराम की भी मौत हो गई थी। मामले से जुड़े ट्रायल को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में ट्रांसफर किया था।
इस मामले की सुनवाई पहले जज उत्पत कर रहे थे, लेकिन इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के सुनवाई में पेश नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त की थी। जिसके बाद उनका तबादला हो गया था। इसके बाद जस्टिस लोया के पास इस मामले की सुनवाई आई थी।
दिसंबर, 2014 में जस्टिस लोया की नागपुर में मौत हो गई थी। जिसे संदिग्ध माना गया था. जस्टिस लोया की मौत के बाद जिन जज ने इस मामले की सुनवाई की, उन्होंने अमित शाह को मामले में बरी कर दिया था।
जस्टिस लोया की मौत को संदिग्ध मानते उनकी मौत की स्वतंत्र जांच कराने के लिए कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला सहित कई याचिकाएं सुप्रीमकोर्ट में दाखिल की गयी थीं। जिन्हे सुप्रीमकोर्ट ने आज ख़ारिज कर दिया। कोर्ट ने साथ ही कहा कि स मामले का कोई आधार नहीं है। इस मामले से न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।