सुप्रीमकोर्ट में ज़किया जाफरी की याचिका पर सुनवाई तीसरी बार टली
नई दिल्ली। वर्ष 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगो में एसआईटी द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ पूर्व सांसद अहसान जाफरी की पत्नी ज़किया जाफरी द्वारा दायर की गयी याचिका पर सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई एक बार फिर टल गयी है।
याचिका कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने दाखिल की है, जिनकी गुजरात दंगों में हत्या कर दी गई थी। याचिका में 2002 के गुजरात दंगे में एसआईटी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य अधिकारियों को क्लीनचिट दिए जाने को चुनौती दी गई है। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन पर 2002 के गुजरात दंगों का षड़यंत्र रचने का आरोप लगा था।
एसआईटी ने 8 फरवरी 2012 मोदी को यह कहते हुए क्लीनचिट दे दी थी कि मामला चलाने के लिए उनके खिलाफ सबूत नहीं हैं। 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने भी एसआईटी के इस क्लीनचिट का समर्थन करते हुए जाकिया जाफरी की याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने 2002 में हुए दंगों के संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को एसआईटी द्वारा दी गई क्लीनचिट को बरकरार रखने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।
उस दौरान गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी तब तक पीएम बन चुके थे। जाकिया जाफरी ने हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट में जाकिया की याचिका पर तीन बार सुनवाई टल चुकी है। पहले उनकी याचिका पर 19 नवंबर को सुनवाई तय की गई थी। लेकिन बाद में समय की कमी के कारण सुनवाई 26 नवंबर को तय की गई। इसके बाद फिर कोर्ट ने कहा कि लिस्टिंग में कोई गलती हो गई है। आखिर में सुनवाई के लिए 3 दिसंबर की तारीख तय की गई लेकिन अब दोबारा याचिका पर सुनवाई को जनवरी 2019 तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगो के दौरान अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी को घेर कर दंगाइयों ने 68 लोगों को मार डाला था। जाकिया जाफरी के पति और कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी इसी सोसाइटी में रहते थे। गुजरात सरकार दंगों को काबू करने में नाकाम रही थी। तीसरे दिन दंगों को काबू करने के लिए सेना उतारनी पड़ी थी। नरेंद्र मोदी पर यह आरोप लगाया जाता रहा है उन्होंने दंगे रोकने के लिए समुचित कदम नहीं उठाए।