सीजेआई के खिलाफ महाभियोग: सुनवाई से पहले कपिल सिब्बल ने वापस ली याचिका

सीजेआई के खिलाफ महाभियोग: सुनवाई से पहले कपिल सिब्बल ने वापस ली याचिका

नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने की याचिका सुनवाई से पहले वापस ले ली गयी है। याचिका कर्ता कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने वेंकैया नायडू के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को वापस ले लिया है।

गौरतलब है कि सीजेआई दीपक मिश्रा पर महाभियोग चलाने की मांग को उप-राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू खारिज कर चुके हैं। कांग्रेस के दो राज्यसभा सासंदों प्रताप सिंह बाजवा और अमी हर्षाद्रय याग्निक ने 5 जजों की संवैधानिक पीठ के सामने याचिका दायर की थी।

इस याचिका को कांग्रेस के पंजाब और गुजरात के राज्ससभा सांसदों ने कोर्ट में दायर किया था। इस याचिका पर कोर्ट की संवैधानिक पीठ जस्टिस एके सीकरी, एसए बोबडे, एनवी रमाना, अरुण मिश्रा और आदर्श गिरी को सुनवाई करनी थी। मगर सुनवाई से पहले ही कांग्रेस ने याचिका को वापस ले लिया जिसके बाद यह खारिज हो गई है।

वकील अश्विनी उपाध्याय और आरपी लूथरा ने कांग्रेस सांसदों के पक्ष में सिब्बल की मौजूदगी विरोध किया था। उनका कहना था कि भारतीय बार काउंसिल उन राजनेता वकीलों को उसी केस की सुनवाई करने से प्रतिबंधित करता है जिन्होंने महाभियोग वाले नोटिस पर हस्ताक्षर किए हों। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह सिब्बल पर निर्भर करता है कि वह मामले पर बहस करना चाहते हैं या नहीं।

जस्टिस सीकरी द्वारा जिस पीठ का प्रतिनिधित्व किया जा रहा था उसमें कोई भी वरिष्ठ वकील शामिल नहीं था। यहां तक कि 12 जनवरी को जस्टिस मिश्रा पर महत्वपूर्ण केसों को जूनियर जजों वाली चुनिंदा बेंचों को देने का आरोप लगाने वाले जस्टिस चलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन बी लोकुर और कुरियन जोफेस भी मौजूद नहीं थे।

जस्टिस सीकरी ने इस पर सिब्बल से कहा कि वह मेरिट के आधार पर दलीलें दें। जिसपर अड़ते हुए सिबब्ल ने कहा कि हम मेरिट पर दलील पेश नही करेंगे, हमें प्रशासनिक आदेश की कॉपी चाहिए। हम आदेश को चुनौती देना चाहते हैं।

सिब्बल ने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या संविधान में चीफ जस्टिस का प्रशासनिक आदेश ही अकेला ऐसा आदेश है जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती? कॉपी न मिलने पर सिब्बल ने कहा कि वह याचिका वापस ले रहे हैं। जिसकी बेंच ने उन्हें इजाजत दे दी।

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TeamDigital