संघ के कार्यक्रम के लिए निजी कॉलेजो से मांगे गए थे 51हज़ार रुपये !
आगरा । उत्तर प्रदेश के आगरा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का आयोजित किये जाने वाले चार-दिवसीय कार्यक्रम पर विवादों के बादल मंडरा रहे है। इस कार्यक्रम के माध्यम से संघ प्रमुख मोहन भागवत को यूनिवर्सिटी व कॉलेजों के 2,000 से ज्यादा अध्यापकों और प्रोफेसरों से मिलने वाले हैं। यह कार्यक्रम 20-24 अगस्त के बीच आगरा, बरेली और अलीगढ़ मंडल के शिक्षको के लिए रखा गया है ।
सेल्फ फाइनेंस्ड कॉलेज एसोसिएशन ऑफ आगरा के बैनर तले निजी डिग्री कॉलेजों के प्रबंधकों ने डॉ. भीम राव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर पर कार्यक्रम के लिए हर एक से जबरदस्ती 51,000 रुपए जमा कराने का आरोप लगाया है। श्रीवास्तव आरएसएस के कार्यक्रम ‘विश्वविद्यालयी एवं महाविद्यालयी शैक्षिक सम्मेलन’ के प्रभारी हैं। सेल्फ फाइनेंस्ड कॉलेज एसोसिएशन के तहत आगरा और अलीगढ़ के 250 कॉलेज आते हैं।
अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार ‘संस्था के महासचिव आशुतोष पचौरी ने बताया कि उन्होंने शिकायत दर्ज कराने के लिए DBRAU के कुलपति से मिलने का वक्त मांगा है।’ उन्होंने कहा कि एसोसिएशन के सदस्य गुरुवार को आगरा के डीएम से मिलेंगे और शिकायत की एक प्रति यूपी के मुख्य सचिव को भेजेंगे। पचौरी ने कहा, ”मैं भागवत या उनके कार्यक्रम के खिलाफ नहीं हूं। लेकिन राज्य यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ अफसरों द्वारा इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किया जाना और कुछ नहीं, शिक्षा का भगवाकरण है। अगर वे ‘भगवाकरण’ करना ही चाहते हैं, तो हमें कॉलेज का शोषण मंजूर नहीं है।”
SFCAA के अध्यक्ष ब्रजेश चौधरी का आरोप है कि उन्हें भी इस कार्यक्रम में रुपए जमा करने के लिए कहा गया था। उन्होंने आरोप लगाया, ”श्रीवास्वत कॉलेज मालिकों को धमका रहे हैं कि अगर उन्होंने पैसा नहीं दिया तो वह उनकी मान्यता रद करा देंगे।” जब इस बारे में श्रीवास्तव से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि SFCAA के लोग निजी रंजिश की वजह से ऐसा कर रहे हैं।
इस संबंध में आरएसएस ब्रज प्रांत प्रचार प्रमुख प्रदीप ने कहा कि वे कार्यक्रम के लिए सिर्फ 100 रुपए रजिस्ट्रेशन शुल्क ले रहे हैं। उन्होंने कहा, ”आरएसएस कभी किसी से रुपए नहीं मांगता। ये 100 रुपए कार्यक्रम के दिन की तैयारियों के लिए लिए जा रहे हैं। श्रीवास्तव पर लगे आरोप गंभीर हैं और हम इसकी जांच करेंगे।” उन्होंने कहा कि श्रीवास्तव आरएसएस में किसी पद पर नहीं है और उन्हें सिर्फ जाना-पहचाना नाम होने की वजह से ज्यादा से ज्यादा शिक्षकों को कार्यक्रम में लाने की जिम्मेदारी दी गई है।