शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट: केजरीवाल सरकार के फैसलो पर उठे सवाल

नई दिल्ली । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल एक बार फिर विवादों के घेरे में हैं । इस बार नया विवाद शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट से पैदा हुआ है । शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार पर न सिर्फ नियमों की अनदेखी करते हुए अपने लोगों को फायदा पहुंचाने का आरोप लग रहे हैं बल्कि इस रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार के कई फैसलों पर सवाल उठाए गए हैं।

केजरीवाल सरकार द्वारा प्रशासनिक फैसलों में नियमों की अवहेलना की बात भी कही है। समिति ने मोहल्ला क्लीनिक के सलाहकार पद पर स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की बेटी की नियुक्ति को गलत बताया है। निकुंज अग्रवाल को स्वास्थ्य मंत्री का विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) तथा रोशन शंकर को पर्यटन मंत्रालय में ओएसडी नियुक्त करने पर भी सवाल उठाया गया है।

कमेटी ने कहा है कि शंकर की नियुक्ति ऐसे पद पर हुई, जिसका पहले अस्तित्व ही नहीं था। उपराज्यपाल की पूर्वानुमति के बिना उनकी इस पद पर नियुक्ति नहीं हो सकती थी। इतना ही नहीं मंत्रियों को विदेश यात्रा की अनुमति देने से पहले उपराज्यपाल की अनुमति भी नहीं ली गई।

सितंबर 2016 में तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग द्वारा केजरीवाल सरकार के फैसलों की समीक्षा के लिए गठित शुंगलू कमेटी ने सरकार के 440 फैसलों से जुड़ी फाइलें खंगालीं। इनमें से 36 मामलों में फैसले लंबित होने के कारण फाइलें सरकार को लौटा दी गई थीं।

पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक वीके शुंगलू की अध्यक्षता वाली कमेटी ने केजरीवाल सरकार के फैसलों से जुड़ी 404 फाइलों की जांच कर इनमें संवैधानिक प्रावधानों के अलावा प्रशासनिक प्रक्रिया संबंधी नियमों की अनदेखी करने की बात कही है। सरकार के मुख्य सचिव, विधि एवं वित्त सचिव सहित अन्य अहम विभागीय सचिवों को तलब कर सरकार के इन फैसलों में संबद्ध अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने अधिकारियों के परामर्श को दरकिनार कर संवैधानिक प्रावधानों, सामान्य प्रशासन से जुड़े कानून और प्रशासनिक आदेशों का उल्लंघन किया है। कई फैसले तो सरकार ने अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर लिए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी बार सत्ता में आने के बाद आप सरकार ने संविधान और अन्य कानूनों में वर्णित दिल्ली सरकार की विधायी शक्तियों को नजरअंदाज कर दिया। इसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 25 फरवरी 2015 के उस बयान का भी हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कानून व्यवस्था, पुलिस और जमीन से जुड़े मामलों की फाइलें उपराज्यपाल की अनुमति के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से होकर ही जाएंगी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में दिल्ली सरकार की 404 फाइलों की जांच में उजागर कमियों का जिक्र किया है। इसमें भारी अनियमितता पाई गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल सरकार के मंत्रियों, उनके रिश्तेदारों और आम आदमी पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं को नियमों का उल्लंघन कर फायदा पहुंचाया गया है।

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TeamDigital