शरद यादव के एक इशारे पर ताश के पत्तो की तरह ढह जाएगी बीजेपी और जदयू सरकार
नई दिल्ली। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जदयू बीजेपी सरकार को आज बड़े इम्तेहान से गुजरना है। शक्ति परीक्षण में एक एक विधायक महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अगर जदयू के दस विधायको ने भी सरकार के खिलाफ मत दिया या विधानसभा में गैर हाज़िर रहे तो नीतीश सरकार का ताश के पत्तो की तरह ढह जाना तय माना जा रहा है।
इस बीच सूत्रों के हवाले से मिली खबरों में कहा गया है कि नीतीश के फैसले से नाराज़ जदयू के वरिष्ठ नेता और सांसद शरद यादव को मनाने की कोशिशें जारी हैं। सूत्रों ने कहा कि इस समय शरद यादव की भूमिका किसी किंग मेकर से कम नहीं हैं। इससे पहले कल शरद यादव से वित्त मंत्री अरुण जेटली की मुलाकात हुई थी। समझा जाता है कि यह मुलाकात बिहार में नीतीश बीजेपी सरकार के फ्लोर टेस्ट पर शरद यादव को मनाने की कोशिश थी।
सूत्रों ने कहा कि जदयू में 11 यादव और पांच मुस्लिम विधायक हैं जिनके ऊपर राजद से हाथ मिलाने का संदेह है। वहीँ करीब एक दर्जन यादव शरद यादव के करीबी बताये जाते हैं। ऐसे में शरद यादव का एक इशारा नीतीश बीजेपी सरकार के ताबूत की आखिरी कील बन सकता है। वहीँ दूसरी तरफ राजद नेता तेजस्वी यादव ने जदयू के 24 विधायकों के अपने सम्पर्क में होने की बात कही है।
नीतीश कुमार द्वारा बीजेपी का दामन थामने से नाराज़ दो सांसदों ने कल जदयू नेता शरद यादव से मुलाकात की थी। शरद यादव ने इन सांसदों से एक दो दिन में राष्ट्रीय दलों के नेताओं से विचार विमर्श कर अंतिम फैसला लेने की बात कही है। कल जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी से भी मुलाकात की थी।
गौरतलब है कि शरद यादव विपक्ष की एकता के लिए कांग्रेस के साथ मिलकर प्रयास कर रहे थे। अब उन्ही की पार्टी ने बिहार में महागठबंधन तोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। बिहार में नीतीश कुमार द्वारा उठाये कदम से न सिर्फ शरद यादव के प्रयासों को धक्का लगा है वहीँ शरद यादव की एक मुश्किल यह भी है कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की मुहीम का हिस्सा रहे हैं और कई मौको पर उन्होंने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोला है। ऐसी स्थति में वे किस आधार पर एनडीए सरकार में शामिल हों।