वीडियो : वे 5 अहम बातें जो ज़ाकिर नाईक ने आज स्काइप पर मीडिया से कहीं

नई दिल्ली । इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन के फाउंडर और इस्लाम के प्रचारक ज़ाकिर नाईक ने स्काइप के माध्यम से मीडिया को सम्बोधित किया । नाईक ने चुनौती देते हुए कहा कि मेरे खिलाफ एक भी बिना छेड़छाड़ किये वीडियो हो तो मुझे दिखाएं जिसमें मैंने सुसाइड अटैक को सही ठहराया हो। उन्होंने कहा कि ढाका हमले के बाद से मेरा मीडिया ट्रायल किया जा रहा है।

1- ज़ाकिर नाईक ने कहा कि , ”मैं नीस में हुए आतंकी हमले की निंदा करता हूं, ऐसे हमले नहीं होने चाहिए।” नाइक ने अपने बचाव में कहा, ”मैंने ढाका के हमलावरों को प्रेरित नहीं किया। जिस अखबार ने ढाका हमले के लिए मुझे जिम्‍मेदार ठहराया, उसने बाद में खुद को ठीक किया और बरी कर दिया। मेरे बयानों के गलत मतलब निकाले गए। मीडिया ने मेरे भाषणों के मतलब को ही बदल दिया। मेरे जवाबों को तोड़ा-मरोड़ा गया। जो ऐसा कर रहे हैं, उन्‍हें जिम्‍मेदार ठहराया जाना चाहिए।”

2- ”मैं दुनिया में कहीं भी हुए आतंकी हमलों की निंदा करता हूं। अगर जरूरत पड़ी तो मैं घंटों इसके खिलाफ बोलूंगा।” उन्‍होंने कहा कि “इस्‍लाम में आत्‍मघाती हमलों की इजाजत नहीं दी गई है, यह इस्‍लाम में दूसरा सबसे बड़ा गुनाह है। यह हराम है, मैं इसकी निंदा करता हूं। मैं शांतिदूत हूं। अगर युद्ध के दौरान आत्‍मघाती हमलों की जरूरत पड़ती है तो कमांडर के आदेश पर इसे देश हित में जायज ठहराया जाता है। विद्वान भी यही कहते हैं।”

3 – ज़ाकिर नाईक ने कहा कि अगर वे उनकी कोई ऐसी असंपादित रिकॉर्डिंग दिखा दें जिसमें उन्‍होंने बेगुनाह लोगोंं को मारने वाले आत्‍मघाती हमलों की निंदा न की हो। पीस टीवी से जुड़े विवाद पर जाकिर ने कहा है कि 2008 में पीस टीवी ने डाउनलिकिंग की इजाजत मांगी थी, लेकिन सूचना एवं प्रसारण मं त्रालय ने मना कर दिया।

4 – ज़ाकिर नाईक ने यह भी कहा कि ”सिर्फ एक वजह जो मेरे जेहन में आती है कि पीस टीवी को भारत में डाउनलिंकिंग की इजाजत क्‍यों नहीं मिली, वह यह है कि क्‍योंकि यह एक मुस्लिम चैनल है। उन्‍होंने बताया कि उनसे अभी तक किसी भारतीय एजेंसी ने संपर्क नहीं किया है। उन्‍होंने कहा कि वे जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग करेंगे।

5- डॉ. नाइक से जब ये सवाल पूछा गया कि आपके पीस टीवी को प्रतिबंधित क्यों किया गया है, तो उन्होंने कहा कि हमने 2008 में टेलिकास्ट राइट के लिए आवेदन किया तो उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद हमने फिर आवेदन किया, तो बिना पूरी जानकारी के एक बार फिर टेलिकास्ट राइट हमें नहीं दिए गए। जबकि दुनियाभर के तमाम देश ऐसे हैं जहां सरकार से मंजूरी नहीं लेनी पड़ती, ऐसे देशों में ये चैनल अच्छे से चल रहा है। मीडिया को जाकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से इस बारे में सवाल करना चाहिए न कि मुझसे।

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