वर्ल्ड कॉम्पटेटिव इंडेक्स में 10 पायदान नीचे फिसला भारत
नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चे पर जूझ रही मोदी सरकार के लिए एक और बुरी खबर आयी है। जिनेवा स्थित विश्व आर्थिक मंच के वार्षिक वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक (वर्ल्ड कॉम्पटेटिवनेस इकोनॉमी इंडेंक्स) में भारत 10 पायदान नीचे खिसककर 68वें स्थान पर आ गया है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के ताजा इंडेक्स से पहले भारत ग्लोबल कॉम्पटेटिव इंडेक्स में 58वें स्थान पर था। मगर इस साल भारत ब्राजील के साथ ब्रिक्स देशों में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से रहा और भारत को 68वे स्थान पर रखा गया है।
जानकारों के मुताबिक आंतरिक मंदी से जूझ रहे भारत का 10 पायदान नीचे लुढ़कना अर्थव्यवस्था को संभालने के प्रयासों में जुटी सरकार के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
समग्र रैंकिंग में भारत के बाद उसके कुछ पड़ोसी शामिल हैं जिनमें श्रीलंका 84 वें स्थान पर, बांग्लादेश 105 वें स्थान पर, नेपाल 108 वें स्थान पर और पाकिस्तान 110 वें स्थान पर है।
वहीँ चीन 28 वें स्थान पर और ब्राजील को कॉम्पटेटिव इंडेक्स में 71वें नंबर पर रखा गया है। ट्रेड वॉर के चलते अमेरिका को अपनी पहली रैंकिंग गंवानी पड़ी है। अब उसकी जगह सिंगापुर ने ले ली है। प्रतिस्पर्धिता रैंकिंग में पहले स्थान पर सिंगापुर, दूसरे स्थान पर अमेरिका, तीसरे पर हांगकांग, चौथे पर नीदरलैंड और पांचवें पर स्विट्जरलैंड रहा।
कोलंबिया, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की सहित समान रूप से रखी गई अर्थव्यवस्थाओं की संख्या में पिछले एक साल में सुधार हुआ है और इसलिए भारत से आगे निकल गया है।
जीवन प्रत्याशा के मामले में भारत अब भी निचले पायदान वाले देशों में से एक है। कुल 141 देशों का इस इंडेक्स के लिए सर्वे किया गया था, जिनमें भारत को 109वें स्थान पर रखा गया है। अफ्रीका के बाहर के देशों की बात करें तो यह बहुत अच्छी स्थिति नहीं है। दक्षिण एशियाई औसत से भी यह नीचे हैं।
वहीँ कॉर्पोरेट गवर्नेंस के मामले में भारत को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने 15वें स्थान पर रखा है। वहीं शेयरहोल्डर गवर्नेंस में दूसरे नंबर पर और मार्केट आकार में भारत को तीसरा नंबर दिया गया है। नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में भी भारत को तीसरा नंबर मिला है। रिपोर्ट के अनुसार इनोवेशन के मामले में भी भारत को कई उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से ऊपर रखा गया है।