लोकतंत्र बड़ा है

नई दिल्ली (रंगनाथ द्विवेदी)। गोरखपुर और फूलपुर के उप-चुनावो ने निश्चित तौर पे ये साबित किया की —“लोकतंत्र किसी भी योगी-आदित्यनाथ या केशव प्रसाद मौर्य से बड़ा है”।
इन दोनो बड़े वृक्षो का धराशाई होना,इनके दंभ से तने मुख-मंडल के लिये आवश्यक था।इस हार के निहितार्थ बताये जा रहे है,प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मिडिया मे तमाम समिक्षको के तरह-तरह के समिक्षाओ की बाढ़ सी आई हुई है और आनी भी चाहिये।
क्योंकि इस समय हमारे प्रदेश की दो बड़ी पार्टियो को एक इसी तरह के आॅक्सीजन की अति-आवश्यकता थी।इस आॅक्सीजन का ही प्रतिफल रहा कि हमारे प्रदेश की दो धुर-विरोधी पार्टिया इतनी खुश व प्रसन्न हुई जिसकी बानगी कल शाम को ही दिखाई दी।
अखिलेश बबुआ अपनी तथाकथित बुआ से मिलने बुके ले उनके आवास पहुँचे अर्थात पहली मर्तबा इतनी लंबी मुलाकात इस राजनैतिक बुआ व बबुआ की हुई।
हालाँकि इस विजय को लोकसभा 2019 की पराजय या भाजपा के खत्म हो जाने से जोड़ देना अभी बहुत जल्दबाजी होगी।लेकिन उप-चुनावो के परिणामो से तो एक बात तय है कि आगामी लोकसभा चुनाव कैसे लड़ा जाये? इसपे भाजपा की और उसकी पार्टी के कुटी-नीतिकारो को जमीनी स्तर पर उतरकर गहन अध्ययन करने की अति-आवश्यकता है।
हालाँकि मै पार्टीगत या जातिगत लेखन का अनुआई नही हूं लेकिन जहाँ तलक मैने “भाजपा के तथाकथित सांसदो व उनके क्रियाकलापो को भापा या महसूस किया है,उसके आधार पे न जाने क्यू मुझे एैसा लगता है कि–अगर पुनः भाजपा को प्रदेश मे कुछ मजबूती व दृढ़-इच्छा शक्ति के साथ अबकी लड़ाई इतने बड़े सुबे मे लड़नी है,तो उसे अपने विजीत सांसदो मे से चालीस परसेंट सांसदो का टिकट काट देना चाहिये”। कही-कही तो एैसा लग रहा है कि जैसे फला जगह के सांसद को वहाँ की जनता मजबूरन झेल रही है।
हालाँकि मोदी और शाह का मैजिक टूट गया ये कहना अभी दुर की कौड़ी है,एैसा इसलिये भी है कि—जब तलक काग्रेंस हासिये से बाहर निकल खुद ड्राइविंग सीट पे नही आती तब तलक मोदी और शाह का जादु खत्म होना मुमकिन नही नामुमकिन है।
उप-चुनाव ने इतना जरुर साबित किया है कि महज बड़बोलेपन से नही अपितु कर्मपथ पे कुछ दुर चलना भी होगा।फिर वे चाहे योगी आदित्यनाथ हो,केशव प्रसाद मौर्या हो,अखिलेश यादव हो या फिर मायावती।
हाॅ! मेरी बधाई लोकतंत्र के मतदाताओ को जिन्होंने अपने मतपर्व को अपनी-अपनी मतो से जीवित व आहलादित रखा,शायद यही कारण है कि हम और हमारा ये लोकतंत्र इतना समृद्ध और परिपक्व है।
(उपरोक्त लेख लेखक के निजी विचारो पर आधारित है, लोकसभारत का इससे सहमत होना अनिवार्य नहीं है।)