रोहिंग्या मुस्लिमों पर सख्त हुई मोदी सरकार, 40 हज़ार शरणार्थियों को भेजा जायेगा वापस

नई दिल्ली । अवैध रूप से शरणार्थी के तौर पर देश में रह रहे मयांमार के रोहिंग्या मुसलमानो पर अब केंद्र सरकार कार्यवाही करने का मन बना रही है। जम्मू सहित कई शहरों में अवैध रूप से बसे 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिमों को केंद्र सरकार गिरफ्तार कर वापस म्यांमार भेजेने की योजना बना रहा है।

गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने बकाया कि फॉरनर्स ऐक्ट के तहत इन लोगों की पहचान कर इन्हें वापस भेजा जाएगा। अधिकारी ने कहा कि बौद्ध बहुल देश म्यामांर में जारी हिंसा के बाद से अब तक करीब 40,000 रोहिंग्या मुस्लिम भारत में आकर शरण ले चुके हैं। ये लोग समुद्र, बांग्लादेश और म्यामांर सीमा से लगे चिन इलाके के जरिए भारत में घुसपैठ करते हैं। बांग्लादेश में फिलहाल तीन लाख रोहिंग्या शरणार्थी रह रहे हैं।

बताया जा रहा है कि इस मुद्दे को लेकर सोमवार को गृह मंत्रालय में केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि की अध्यक्षता में बैठक हुई है, जिसमें इनकी पहचान, गिरफ्तारी और देश से बाहर भेजने की रणनीति पर बातचीत की गई है। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के डीजीपी, चीफ सेकेट्ररी ने भी हिस्सा लिया। सबसे ज्यादा रोहिंग्या तो अकेले जम्मू में ही रहते हैं, जहां इनकी संख्या करीब 10 हजार के करीब है।

क्या है मामला:
देश में रोहिंग्या की बढ़ती संख्या देख म्यांमार के जनरल ने विन की सरकार ने 1982 में बर्मा का राष्ट्रीयता कानून लागू कर दिया। इसके तहत रोहिंग्या मुसलमानों से नागरिक होने का दर्जा छीन लिया था। इसके बाद से ही म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करती रही है।

साल 2012 में म्यांमार के राखिन राज्य में हुए सांप्रदायिक दंगों ने वहां से मुस्लिमों का पलायन तेज कर दिया। उत्तरी राखिन में रोहिंग्या मुसलमानों और बौद्ध धर्म के लोगों के बीच हुए इस दंगे में 50 से ज्यादा मुस्लिम और करीब 30 बौद्ध लोग मारे गए।

1826 में प्रथम एंग्लो-बर्मा युद्ध के बाद म्यांमार में ब्रिटेन का शासन हो गया। इसके बाद उन्होंने बांग्लादेश से लाकर लोगों को राखिन में लाकर बसाना शुरू कर दिया। बांग्लादेश से जाकर राखिन में बसे ये वही लोग थे जिन्हें आज रोहिंग्या मुसलमानों के तौर पर जाना जाता है

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TeamDigital