राम मंदिर पर बीजेपी की ख़ामोशी से अब टूट रहा हिन्दू संगठनों का धैर्य
नई दिल्ली। 2014 में जब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो बीजेपी से राम मंदिर की उम्मीद लगाए बैठे हिन्दू संगठनों की उम्मीदों को भी बल मिला। 2017 में उत्तर प्रदेश की सत्ता में भी बीजेपी के पदार्पण से हिन्दू संगठनों की उम्मीदें और बुलंद हो गयीं।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद हिन्दू संगठनों को लगा कि अब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा लेकिन योगी आदित्यनाथ के यूपी का सीएम बनने के एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी राम मंदिर को लेकर बीजेपी की तरफ से कोई ठोस कदम न उठाये जाने से अब हिन्दू संगठनों का धैर्य भी जबाव देने लगा है।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर स्वयं सीएम योगी आदित्यनाथ सुप्रीमकोर्ट के फैसले का इंतजार करने को कह चुके हैं। इतना ही नहीं पिछले दिनों अयोध्या में साधू संतो के एक कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर मुद्दे पर यह कह कर अपना बचाव किया कि जब प्रभु राम जी की मर्जी होगी तभी अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होगा।
बीजेपी नेता भले ही मीडिया में राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़े बड़े बयान देते हैं लेकिन हाल ही में सम्पन्न हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सहित बीजेपी के कद्दावर नेताओं ने राम मंदिर निर्माण को लेकर एक शब्द तक नहीं कहा।
राम मंदिर निर्माण को लेकर बीजेपी नेताओं की टालमटोल कभी सुप्रीमकोर्ट के फैसले का इंतज़ार करने पर तो कभी राज्य सभा में बहुमत न होने पर आकर रुक जाती है।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर बहुसंख्यक हिन्दुओं के बीच खुद को लोकप्रिय बनाने वाली बीजेपी फ़िलहाल राम मंदिर निर्माण पर कुछ भी बोलने से परहेज कर रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि राम मंदिर निर्माण के नाम पर चुनावो में बीजेपी का समर्थन करने वाले हिन्दू संगठन अपने धैर्य को कब तक संजोकर रखें।
कभी विहिप की कमान सँभालने वाले प्रवीण तोगड़िया बीजेपी पर राम मंदिर निर्माण के नाम पर बहु संख्यक हिन्दुओं को गुमराह करने का आरोप लगाते रहे हैं। विहिप से अलग होकर नया संगठन बनाने वाले प्रवीण तोगड़िया का कहना है कि बीजेपी ने सत्ता तक पहुँचने के लिए राम मंदिर मुद्दे को सीढ़ी की तरह इस्तेमाल किया है।
वहीँ विहिप से जुडी साध्वी प्राची ने कल एक दैनिक समाचार पत्र से बातचीत में खुलकर कहा कि राम मंदिर पर मोदी सरकार का रुख उसके लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है।
साध्वी प्राची ने कहा कि राम मंदिर को लेकर सरकार की ढुलमुल रवैये से संत समाज में भयानक आक्रोश है। उन्होंने कहा कि जितनी जल्दी सरकार ने संशोधित एससी-एसटी एक्ट पर दिखाई उसी तरह रामलला के मुद्दे पर भी तेजी दिखाते हुए करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए नहीं तो जनता इन्हे सिंहासन से हटाने में देर नहीं करेगी।
देश में अगले वर्ष आम चुनाव होने हैं। ऐसे में देखना है कि बीजेपी अपने चुनावी घोषणा पत्र में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा शामिल करती है अथवा नहीं। फिलहाल बड़ी सच्चाई यही है कि बीजेपी नेता राम मंदिर निर्माण पर कुछ भी बोलने से परहेज करते दिख रहे हैं।